दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार दूसरे दिन ‘गंभीर’, प्रदूषण से आंखों में जलन, गले का बढ़ा संक्रमण

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देश की राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता मंगलवार सुबह लगातार दूसरे दिन ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में रही, शहर में धुंध (स्मॉग) छाई रही, दृश्यता कम हो गई और वायु प्रदूषण खराब होकर खराब AQI के खतरनाक उच्च स्तर पर पहुंच गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में सुबह 8 बजे तक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 488 दर्ज किया गया, जो इसे ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में रखता है। दिल्ली के निवासी लगातार चिंता जता रहे हैं क्योंकि कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता का स्तर “गंभीर प्लस” श्रेणी में बना हुआ है। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में सांस और आंखों के मरीज की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

गौरतलब है कि ऐसे उच्च वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) स्तर पर, हवा को बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन या हृदय के रोगियों जैसे कमजोर लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है। आज सुबह 7:20 बजे भीकाजी कामा प्लेस के आसपास के ड्रोन दृश्यों में पूरे क्षेत्र में धुंध की एक मोटी परत दिखाई दे रही है।

धुंध के कारण 22 ट्रेनें देरी से चल रही हैं

इस बीच दिल्ली में धुंध (स्मॉग) के बीच ट्रेनों की आवाजाही जारी है। रेलवे ने कहा कि धुंध के कारण 22 ट्रेनें देरी से चल रही हैं और 9 ट्रेनों के समय में बदलाव किया गया है। कर्त्तव्य पथ और आसपास के इलाकों के दृश्यों में लोगों को स्मॉग की मोटी परत के आसपास सुबह की सैर और साइकिल चलाते हुए भी दिखाया गया है।

यमुना नदी के कुछ हिस्सों में जहरीला झाग

आपको बता दें कि प्रदूषण का स्तर लगातार ऊंचा बना हुआ है। कालिंदी कुंज और ओखला बैराज के पास यमुना नदी के कुछ हिस्सों में जहरीले झाग का घना झाग तैरता रहता है।

वायु गुणवत्ता का स्तर इन क्षेत्रों में “गंभीर प्लस” श्रेणी में

दिल्ली के निवासी लगातार चिंता जता रहे हैं क्योंकि कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता का स्तर कई क्षेत्रों में “गंभीर प्लस” श्रेणी में बना हुआ है। SAFAR-इंडिया (वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली) के अनुसार मंगलवार सुबह 8.30 बजे तक आनंद विहार में एक्यूआई 500, बवाना में 500, सीआरआरआई मथुरा रोड पर 500, डीटीयू में 494, द्वारका सेक्टर-8 में 494, आईटीओ में 391, जहांगीरपुरी में 493, लोधी रोड में 488, मुंडका में 498 एक्यूआई दर्ज किया गया। इसके अलावा नरेला 500, नॉर्थ कैंपस 494 पर, शादीपुर 498, आरकेपुरम 490, पंजाबी बाग में 495 एक्यूआई दर्ज किया गया है।

नोएडा में औसत एक्यूआई 420 दर्ज किया गया

वहीं, अगर बात नोएडा की की जाए तो नोएडा में औसत एक्यूआई 420 दर्ज किया गया है और सबसे ज्यादा खराब स्थिति सेक्टर 62 में दर्ज की गई है जो 487 दर्ज की गई है। ग्रेटर नोएडा में भी एक्यूआई 400 के पार पहुंच गया है। गाजियाबाद की बात करें तो यहां भी सभी इलाकों में एक्यूआई 400 के पार पहुंच गया है। लोनी में एक्यूआई 499 दर्ज किया गया है। इंदिरापुरम में एक्यूआई 430, वसुंधरा में एक्यूआई 473 और संजय नगर में एक्यूआई 475 पहुंच गया है।

ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने का फैसला

राष्ट्रीय राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने दिल्ली और एनसीआर में गंभीर प्रदूषण और खतरनाक एक्यूआई स्तर का हवाला देते हुए 22 नवंबर तक ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने का फैसला किया है। वहीं दूसरी ओर हरियाणा में, गुरुग्राम के उपायुक्त कार्यालय ने घोषणा की कि माध्यमिक शिक्षा हरियाणा के निदेशक के निर्देशों के अनुसार और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) स्थिति का आकलन करने के बाद, गुरुग्राम जिले में 19 नवंबर से 23 नवंबर तक 12वीं कक्षा तक की सभी भौतिक कक्षाएं बंद रहेंगी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?

दरअसल मुंबई, दिल्ली और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों सहित कई शहरों में हवा की गुणवत्ता खराब होकर गंभीर स्तर तक पहुंच गई है और स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में चिंता बढ़ गई है। राष्ट्रीय राजधानी में ‘गंभीर’ प्रदूषण के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक परिपत्र जारी कर शीर्ष अदालत परिसर में वादियों और अधिवक्ताओं को मास्क पहनना सुनिश्चित करने और स्वास्थ्य संबंधी उपाय करने की सलाह दी है

सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए जीआरएपी पर उप-समिति के सदस्य संयोजक, निदेशक (तकनीकी) के 17 नवंबर, 2024 के आदेश का संदर्भ आमंत्रित करते हुए चरण-IV (गंभीर वायु गुणवत्ता) के तहत कार्यों के कार्यान्वयन को अधिसूचित किया गया है। दिल्ली-एनसीआर में संशोधित ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान में यह निर्देश दिया गया है कि मास्क पहनने सहित निवारक स्वास्थ्य उपाय करने के लिए एक सलाह जारी की जाए।

बढ़ रही सांस लेने और आंखों में जलन के मरीजों की संख्या

उल्लेखनीय है, अब सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में सांस और आंखों के मरीज की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जानकारी के मुताबिक तकरीबन 30 प्रतिशत मरीज रोजाना अस्पताल पहुंच रहे हैं जिनको सांस लेने और आंखों में जलन की शिकायत है। डॉक्टर का कहना है कि बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवा आंखों में ना डालें और ना ही कोई दवा खाएं।

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