रांचीः 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अजय सिंह ने झारखंड के 15वें डीजीपी का पदभार ग्रहण कर लिया है. अजय कुमार सिंह दूसरी बार झारखंड के डीजीपी बनाए गए हैं. चुनाव आयोग ने तत्कालीन डीजीपी अनुराग गुप्ता को उनके पद से हटाने के निर्देश दिया था.
झारखंड में चुनाव के पूर्व ही भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड के प्रभारी डीजीपी अनुराग गुप्ता को उनके पद से हटा दिया है। आयोग ने उनके पुराने विवादित इतिहास को देखते हुए यह निर्णय लिया है। आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि उनके स्थान पर किसी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को डीजीपी के पद पर बैठाया जाय।
इसके लिए आयोग ने 21 अक्टूबर तक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का पैनल आयोग को सौंपने को कहा है, जिस पर आयोग निर्णय लेगा। वर्तमान में अनुराग गुप्ता को छोड़कर तीन आईपीएस अधिकारी वरिष्ठ हैं। इनमें 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह, 1990 बैच के अनिल पाल्टा व 1992 बैच के प्रशांत सिंह शामिल हैं। इस पैनल पर आयोग विचार करेगा और उसके बाद डीजीपी पद के लिए निर्णय लेगा।
जुलाई में बनाया गया था डीजीपी
अनुराग गुप्ता के पूर्व 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह नियमित डीजीपी थे। उन्हें राज्य सरकार ने दो साल का कार्यकाल पूरा किए बगैर बिना किसी ठोस आरोप के 26 जुलाई को डीजीपी के पद से हटाकर उन्हें झारखंड पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन का अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक बनाया था। उनके स्थान पर 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाया था।
प्रभारी डीजीपी के पद से हटाए गए आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता का कार्यकाल विवादों में रहा है। उनपर विशेष शाखा के एडीजी रहते हुए पद का दुरुपयोग कर राज्यसभा चुनाव 2016 में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष के वोट देने के लिए बड़कागांव की तत्कालीन कांग्रेस विधायक निर्मला देवी को लालच देने व उनके पति पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को धमकाने का आरोप लगा था। इस मामले में आयोग के आदेश पर ही रांची के जगन्नाथपुर थाने में 29 मार्च 2018 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। हालांकि, रांची पुलिस ने जांच में उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।
वर्ष 2019 में भी लोकसभा चुनाव के वक्त भारत निर्वाचन आयोग ने उन्हें चुनाव कार्य से हटाते हुए झारखंड से बाहर करते हुए उन्हें स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली में पदस्थापित किया था। वे चुनाव की समाप्ति के बाद झारखंड लौटे थे।
नियमित डीजीपी के पैनल पर सवाल उठा चुका था UPSC
अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाने के बाद राज्य सरकार ने डीजीपी के पद पर नियमित पदस्थापन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। इसके लिए राज्य सरकार ने चार आईपीएस अधिकारियों का एक पैनल यूपीएससी को भेजा था। इनमें 1989 बैच के अजय कुमार सिंह, 1990 बैच के अनिल पाल्टा व अनुराग गुप्ता तथा 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रशांत सिंह का नाम था।
यूपीएससी ने राज्य सरकार के इस पैनल पर विचार के बदले जवाब तलब किया कि अजय कुमार सिंह को किस परिस्थिति में और क्यों हटाया गया। प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार के केस में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया। यह न्यायालय की अवमानना है। डीजीपी की नियुक्ति पर सर्वोच्च न्यायालय का व्यापक फैसला आया था, जिसमें कार्यकाल कम से कम दो साल रखना अनिवार्य किया गया था। अजय कुमार सिंह को डेढ़ साल से भी कम अवधि में डीजीपी के पद से हटाया गया था।