Akhilesh Yadav: ‘आवाम ने तोड़ दिया हुकूमत का गुरूर…’, अखिलेश ने सदन में BJP पर शायराना अंदाज में बोला हमला

Akhilesh Yadav

Akhilesh Yadav on Lok Sabha: अखिलेश यादव ने कहा कि 4 जून को जब नतीजे आए तो देश में सांप्रदायिक राजनीति का अंत हो गया. इसके बाद सामुदायिक राजनीति की शुरुआत हुई.

Akhilesh Yadav Speech: समाजवादी पार्टी के मुखिया और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने मंगलवार (2 जुलाई) को लोकसभा में भाषण देते हुए बीजेपी पर शायराना अंदाज में हमला बोला. उन्होंने कहा कि चुनाव के समय 400 पार का नारा दिया गया, लेकिन जनता को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने लोकतंत्र को एकतंत्र बनने से रोक दिया. अखिलेश ने आगे शायरी पढ़ते हुए कहा कि आवाम ने तोड़ दिया हुकूमत का गुरूर, दरबार तो लगा है बड़ा गममीन. वह बीजेपी की चुनावी हार का जिक्र कर रहे थे.अपने भाषण की शुरुआत करते हुए अखिलेश ने स्पीकर ओम बिरला को बोलने देने के लिए धन्यवाद कहा. उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी बात रख रहे हैं. सभी सांसदों और आपको बधाई देना चाहता है. उन मतदाताओं को भी धन्यवाद कहना चाहता हूं, जिन्होंने लोकतंत्र को एकतंत्र बनने से रोका. उन्होंने चुनाव के समय बीजेपी की तरफ से दिए गए 400 पार के नारे का जिक्र किया. सपा प्रमुख ने कहा कि चुनाव के समय 400 पार कहा गया, लेकिन जनता को धन्यवाद दूंगा.

अखिलेश यादव का शायराना अंदाज

अखिलेश यादव ने आगे शायरी पढ़ते हुए कहा, “आवाम ने तोड़ दिया हुकूमत का गुरूर…दरबार तो लगा है, लेकिन गमगीन हैं सब. दरबार लगा है, लेकिन बेनूर है. पहली बार ऐसा लग रहा है कि हारी हुई सरकार विराजमान है. जनता कह रही है कि सरकार चलने वाली नहीं है. ये गिरने वाली सरकार है. ऊपर से जुड़ा कोई तार नहीं, नीचे कोई आधार नहीं, अधर में है जो अटकी हुई…वो तो कोई सरकार नहीं. पूरा इंडिया समझ गया है कि इंडिया ही प्रो इंडिया है. इस चुनाव में इंडिया की नैतिक जीत है.”

4 जून सांप्रदायिक राजनीति के अंत का दिन: अखिलेश यादव

कन्नौज सांसद ने कहा, “ये पीडीए, इंडिया की सकारात्मक जीत है. ये सामाजिक न्याय के लिए जो मुहिम चल रही है, उसकी जीत है. ये हम इंडिया गठबंधन वालों के लिए जिम्मेदारी भरा पैगाम भी है. अगर 15 अगस्त, 1947 देश का औपनिवेशिवक राजनीति से आजादी का दिन था तो 4 जून, 2024 का दिन देश में सांप्रदायिक राजनीति के अंत का दिन है. साथ ही सामुदायिक राजनीति कि शुरुआत हुई है. इस चुनाव में सांप्रदायिक राजनीति हमेशा के लिए हार गई है.”

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