बिहार में टूट जाएगा इंडिया गठबंधन ! विधानसभा चुनाव में सीटों को लेकर लेफ्ट और कांग्रेस ने तेजस्वी के उड़ाए होश

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बिहार में विधानसभा चुनाव होने में करीब 10 महीने के समय शेष है. लेकिन अभी से सियासी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू है. इसमें विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में कांग्रेस और वामदलों की मांग से राजद के चिंता बढ़ गई है. बिहार में सत्ता में वापसी करने का राजद का सपना अब अपने ही सहयोगी दलों के कारण नई चुनौतियों को झेलने की ओर है.

बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए के खिलाफ मजबूत गठबंधन बनाकर चुनाव मैदान में उतरने की विपक्षी दलों की कोशिशें अभी से मझदार में हैं. ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश के तहत कांग्रेस और वामदलों ने राजद पर दबाव बनाने वाली रणनीति शुरू कर दी है. नतीजा है कि तनातनी की स्थिति में कहीं चुनाव तक बिहार में इंडिया गठबंधन टूट जाए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.

दरअसल, बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं. कांग्रेस ने 70 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है. कांग्रेस की इस मांग से राजद को बड़ा झटका लगा है. लेकिन झटका वामदलों की मांग से भी लगा है. लेफ्ट पार्टियों की ओर से 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. ऐसे में इन दोंनों दलों द्वारा 150 सीटों पर दावा ठोक दिया गया है. यानी राजद के लिए सिर्फ 93 सीटें बचेंगी. इस स्थिति में राजद को अपने सहयोगियों को मनाने की बड़ी चुनौती है.

लालू समझ चुके हैं चाल 

 

राजद सुप्रीमो लालू यादव पहले ही कांग्रेस और वामदलों की इस चाल को संभवतः भांप चुके हैं. इसी कारण उन्होंने पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए आगे आने की बात कही. यह एक तरह से कांग्रेस पर राजद का दबाव बनाने का प्लान है.  इंडिया को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट रखने की कवायद में कांग्रेस अगर सहयोगी दलों की बातों को नहीं मानेगी तो बिखराव का ठिकड़ा कांग्रेस के मत्थे आएगा. वहीं अगर सहयोगी दलों को साथ रखती है तो इससे बिहार में चुनाव के दौरान राजद अपने स्तर से सीटों का बंटवारा करेगी.

2020 में राजद का शानदार प्रदर्शन 

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में आरजेडी 144 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. वहीं कांग्रेस को 70 सीटें दी गई थी जबकि सीपीआइ को छह तो सीपीएम को चार सीट दी गई. तब राजद ने 75 सीटों पर जीत हासिल की जबकि कांग्रेस ने 19 सीटों पर सफलता पाई. वहीं वामदलों ने मिलकर 29 सीटों पर चुनाव लड़ा और 16 पर जीत हासिल की.