करीब साढ़े 3 साल पहले पटना में इंडिगो के मैनेजर रूपेश सिंह की शरेआम हुए मर्डर के सारे अभियुक्त बरी कर दिये गये हैं. कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने इस केस में जिन चार लोगों को अभियुक्त बनाया था, उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है. इसलिए उन्हें बाइज्जत बरी किया जाता है. बता दें कि फर्स्ट बिहार ने मर्डर के बाद पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल उठाये थे. खुलेआम ये चर्चा हो रही थी कि कुछ सफेदपोशों को बचाने के लिए पुलिस ने बेगुनाह लोगों को बलि का बकरा बनाया है. कोर्ट के फैसले से ये बात साफ हो गयी.
रूपेश हत्याकांड ने सनसनी फैलायी थी
पटना के पुनाईचक इलाके में 2021 के 12 जनवरी को इंडिगो मैनेजर रुपेश सिंह की सरेशाम गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था. लिहाजा पुलिस ने अपने तरीके से जांच शुरू की. पुलिस ने इस हत्याकांड में चार लोगों को आरोपी बनाया था और उनके खिलाफ दो बार में लगभग 350 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. पुलिस ने अपने आरोपों को सही ठहराने के लिए 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज भी कोर्ट में जमा किए थे जिसके जरिए आरोपियों के मूवमेंट को इस मर्डर से जोड़ने का दावा किया गया था. लेकिन कोर्ट ने इस मर्डर केस के कहा है कि पुलिस के पास सबूत नहीं है और चारों आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है.
बता दें कि इंडिगो एयरलाइंस के पटना के स्टेशन मैनेजर रुपेश सिंह की हत्या 12 जनवरी 2021 को पटना में शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र में उनके अपार्टमेंट के बाहर कर दी गई थी. हत्या उस समय हुई जब रुपेश पटना एयरपोर्ट से ड्यूटी कर अपने घर लौट रहे थे. इस मर्डर केस को लेकर बिहार में काफी राजनीतिक बवाल हुआ था. रूपेश के सभी दलों के नेताओं से अच्छे संबंध थे.
इस घटना को लेकर कई तरह की चर्चायें हो रही थीं. लेकिन पुलिस ने अपनी थ्योरी गढ़ी. पुलिस ने ऋृतुराज नाम के युवक को गिरफ्तार किया और दावा किया कि नवंबर 2020 में रोड रेज की एक घटना में रुपेश की ऋृतुराज से हाथापाई हुई थी. पुलिस ने कहा था कि ऋृतुराज पिटाई का बदला लेने के लिए लगातार रुपेश को मारने की प्लानिंग कर रहा था.
उसी दौरान रुपेश सिंह की पत्नी नीतू सिंह ने पुलिस के इस दावे पर सवाल उठाया था और कहा था कि 29 नवंबर को उनकी कार से एक बाइक टकराई थी लेकिन उसमें कोई हाथापाई जैसी बात नहीं हुई थी. रुपेश के परिजनों ने कहा था कि बाइक वाला सॉरी बोलकर चला गया था और कोई विवाद या झगड़ा नहीं हुआ था. लेकिन पुलिस अपनी जिद्द पर अडी रही. पुलिस ने रुपेश मर्डर केस में ऋृतुराज के अलावा सौरभ, छोटू और आर्यन को आरोपी बनाया था. कोर्ट ने उन सबको बरी कर दिया है.
बच गये सफेदपोश
इस केस में सबसे बडा सवाल ये है कि रूपेश को आखिरकार किसने मारा. पुलिस की भूमिका इस मामले में शुरू से संदिग्ध थी. पुलिस जिन्हें हत्यारा बता रही थी उनका कोई लिंक मर्डर केस से नहीं जुड़ रहा था. पटना के तत्कालीन एसएसपी उपेंद्रनाथ शर्मा पर गंभीर सवाल उठे. हत्याकांड के आऱोपी बनाये गये रितुराज की पत्नी ने आरोप लगाया था कि एसएसपी उपेंद्र नाथ शर्मा ने नंगा कर मारने की धमकी दी थी. रितुराज के पिता की पिटाई की भी बात सामने आयी थी. लेकिन बिहार सरकार और बिहार पुलिस जबरन अपनी पीठ थपथपाती रही. हद ये कि बिहार पुलिस के डीजीपी ने इस केस की पड़ताल करने वाले पुलिसकर्मियों के लिए इनाम की घोषणा कर दी थी. लेकिन कोर्ट में पुलिस की पोल खुल गयी. इसके साथ ही असली हत्यारे भी हमेशा के लिए बेदाग हो गये.