बिहार में पिछले 10 वर्षों में जितने भी पुल-पुलिया बने हैं, उनको दी गई एनओसी की शर्तों की जांच होगी। जल संसाधन विभाग ने इस संबंध में अपने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। इसके तहत पुल-पुलियों के साथ अन्य जितनी भी संरचनाओं का निर्माण किया गया है, सबकी जांच होगी।
इसकी जिम्मेदारी विभाग के सभी क्षेत्रीय मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता के अलावा केन्द्रीय रूपांकण, शोध एवं गुणवत्ता नियंत्रण के मुख्य अभियंता को दी गयी है। उनसे कहा गया है कि क्षेत्रीय स्तर से एनओसी में निहित शर्तों के अनुपालन की रिपोर्ट लेकर मुख्यालय को समर्पित करें। इसके पहले पांच वर्षों के लिए जांच का निर्णय लिया गया था, लेकिन समीक्षा में यह बात सामने आई कि गड़बड़ी की आशंका इसके पहले की भी हो सकती है। इसके तहत विभाग यह देखेगा कि जिन विभागों या जिलों में पुल-पुलियों का निर्माण हुआ है, उसको दिये गए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) की शर्तों का कितना अनुपालन किया गया है।
तय मानकों का पालन किया गया है या नहीं? शर्तों का उल्लंघन किया गया है तो वह कितना है? उसका क्या प्रभाव पड़ा है? सरकार इस मामले में इसलिए भी गंभीर है कि पिछले दिनों पथ निर्माण विभाग ने सभी पुलों की ऑडिट भी कराई है। इनमें पुल निर्माण निगम ने 1700 पुलों की ऑडिट की है।
पिछले कुछ माह में कई पुल-पुलियों के क्षतिग्रस्त होने की खबरें आई : दरअसल, पिछले कुछ माह में कई पुल-पुलियों के क्षतिग्रस्त होने की खबरें आई हैं। इसको लेकर सरकार बेहद सख्त है। पहले उसने सभी पुल-पुलियों का सर्वे कराया है। अब उनको दिये गए एनओसी की जांच का निर्णय लिया गया है। फिलहाल विभाग के पास यह जानकारी भी नहीं है कि जितने निर्माण हुए, उसमें तय मानक और शर्तों का अनुपालन किया गया है या नहीं? पिछले दिनों विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला हुआ था। बैठक में विभाग के सभी उच्चाधिकारी शामिल हुए थे।