मुकेश सहनी के हाथ में एक बार फिर से लडडू मिला. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मुकेश सहनी की वीआईपी चारो खाने चित्त हो गई थी, इस बार भी वही हाल हुआ. वीआईपी के तीनों कैंडिडेट औंधे मुंह गिर गए. हालांकि मुकेश सहनी ने जिस तेजस्वी यादव के साथ मिलकर चुनाव प्रचार किया,उनकी पार्टी राजद को चार सीटें मिली हैं.
मुकेश सहनी के हाथ खाली…मित्र के हाथ में चार सीटें
बिहार में लोस की चालीस सीटों पर हुए चुनाव में मुकेश सहनी ने तीन सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. तेजस्वी यादव ने राजद कोटे से तीन सीटें वीआईपी को दी थी. वो तीन सीटें हैं पूर्वी चंपारण( मोतिहारी), गोपालगंज और झंझारपुर. मुकेश सहनी ने मोतिहारी से राजेश कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया था.
वहीं झंझारपुर से सुमन कुमार महासेठ और गोपालगंज से प्रेमनाथ चंचल को मैदान में उतारा. हालांकि कैंडिडेट खोजने में मुकेश सहनी को भारी मशक्कत का सामना करना पड़ा था. खुद को सन ऑफ मल्लाह कहने वाले मुकेश सहनी ने एक भी निषाद जाति से उम्मीदवार नहीं दिया. इसको लेकर विपक्षी पार्टियों ने सवाल भी खड़े किए थे.
मुकेश सहनी के तीनों उम्मीदवार हारे
आज जबकि चुनाव परिणाम आए हैं, उसमें मुकेश सहनी की पार्टी के उम्मीदवार हार गए हैं. राजद-कांग्रेस-वाम दलों के सहयोग के बाद भी वीआईपी प्रत्याशी की जीत नहीं हुई। गोपालगंज सीट से वीआईपी के प्रत्याशी प्रेमनाथ चंचल की लगभग सवा लाख मतों से हार हुई. वहीं झंझारपुर से मुकेश सहनी के प्रत्याशी भी औंधे मुंह गिरे. यहां जेडीयू प्रत्याशी ने वीआईपी कैंडिडेट सुमन कुमार महासेठ को लगभग सवा लाख से अधिक मतों से हराया. जबकि मोतिहारी सीट पर भी वीआईपी प्रत्याशी राजेश कुशवाहा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है.
तेजस्वी यादव के चार प्रत्याशी जीते
गौरतलब है कि चुनाव प्रचार के दौरान मुकेश सहनी तेजस्वी यादव के साथ-साथ दिखे थे. चुनावी अभियान में वे तेजस्वी यादव का कंधा देते भी दिखे . हालांकि मुकेश सहनी के हाथ कुछ नहीं आया. राजद जिन सीटों को जीतने में कामयाब रही उसमें पाटलिपुत्र सीट भी शामिल है. यहां से लालू यादव की बेटी मीसा भारती तीसरी बार की लड़ाई में चुनाव जीत गईं. वहीं जहानाबाद से राजद प्रत्याशी सुरेन्द्र प्रसाद यादव ने भी बड़ी जीत दर्ज की है. बक्सर से सुधाकर सिंह और औरंगाबाद से अभय कुशवाहा ने जीत दर्ज की है.