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सरकारी स्कूल में पढ़ाने के साथ बस्तियों में बांटते हैं कॉपी-किताब भी, मिलिये निशुल्क शिक्षा देने वाले नेयाज अहमद से

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शिक्षा का अलख जगाने वाले शिक्षकों को आज का दिन समर्पित हैं. आज हम ऐसे शिक्षक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने समाज में एक अलग पहचान बनाई है. राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में एक सरकारी स्कूल के शिक्षक निशुल्क रूप में अपने मोहल्ले में बच्चों को पढ़ाते हैं. इसके अलावा बस्ती में जाकर कॉपी-किताब भी बांटते हैं।

8 सालों से फ्री शिक्षा: नेयाज अहमद पठन-पाठन के जरिए न केवल बच्चों के बीच बल्कि समाज में एक अमीट छाप छोड़ रहे हैं. वो मसौढ़ी नगर मुख्यालय के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले वैसे शिक्षक हैं, जो पिछले 8 सालों से अपने स्कूल के पिछड़े बच्चों को न केवल निशुल्क शिक्षा दान कर रहे हैं, बल्कि गरीब बस्तियों में जाकर किताब और पाठ्य पुस्तक का भी वितरण करते हैं।

बच्चों के बीच शिक्षा का अलख: नेयाज अहमद जो मालिकाना उर्दू मध्य विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक हैं. वो पीछड़े बच्चों को अपने घर बुलाकर निशुल्क रूप में पढ़ाते हैं. यह केवल एक-दो दिन नहीं बल्कि पिछले 8 सालों से करते आ रहे हैं. नेयाज अहमद बताते हैं कि उन्हें यह सब करके बहुत ही अच्छा लगता है, बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगाने में उन्हें बहुत ही रुचि है।

मुझे बच्चों के बीच रहना पसंद है, मैं उर्दू मध्य विद्यालय मालिकाना स्कूल में सरकारी शिक्षक के रूप दे रहा हूं और हमारे स्कूल के वैसे कमजोर बच्चे जो जिस विषय में कमजोर हैं, उन्हें घर बुलाकर निशुल्क रूप में पढ़ता हूं. इसके अलावा बस्तियों में जाकर वैसे कमजोर बच्चों को खोजते हैं जो निहायत ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं उन्हें किताब कॉपी भी देते हैं और यह पिछले 8 सालों से करते आ रहे हैं.-नेयाज अहमद, शिक्षक, उर्दू मध्य विद्यालय मालिकाना, मसौढ़ी

कमजोर बच्चों को निशुल्क शिक्षा: बता दें कि वह न केवल अपने स्कूल के बच्चों को पढ़ाते हैं बल्कि आस और पड़ोस के भी जो बच्चे पढ़ने आते हैं. नेयाज अहमद आज ने नये युवा पिढ़ी के शिक्षकों के लिए एक मिसाल पेश की है कि शिक्षक न केवल स्कूलों में पढ़ाई करवाते हैं, बाकी अपने समाज के वंचित और कमजोर बच्चों को भी निशुल्क रूप में उनके बीच शिक्षा का अलख जगाते हैं।

“हमारे स्कूल के नेयाज सर हम सभी बच्चों को जो जिस विषय में कमजोर है. उसे घर बुलाकर निशुल्क रूप से पढ़ते हैं, इसके अलावा आस-पड़ोस के भी बच्चे लोग पढ़ने आते हैं.”-खुशी कुमारी, छात्रा