मेरा नाम आनंद कुमार है और मैं बिहार के मधेपुरा का रहने वाला हूं. 67 bpsc संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में मुझे 299 रैंक मिला है. एक तरह से कहा जाए तो मैं बिहार प्रशासनिक सेवा अधिकारी बन चुका हूं. मेरे पिताजी एक चपरासी थे. जिस सरकारी ऑफिस में वे चपरासी का काम करते थे वही मैं अफसर बनकर बहुत जल्द नौकरी ज्वाइन करने वाला हूं. मेरी दिली इच्छा है कि जिस दिन मैं नौकरी ज्वाइन करने जाऊं अपने कुर्सी पर अपने पिता को सबसे पहले बैठाउ. क्योंकि आज मैं जो भी हूं जैसा भी हूं उसमें माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान है।
अपनी जीवन गाथा सुनाते सुनाते मधेपुरा के आनंद कुमार के आंखों से आंसू छलकने लगता है. आनंद कुमार का कहना था कि उनके लिए यहां तक पहुंचना कोई आसान काम नहीं था. लोग मजाक उड़ाते थे. बावजूद इसके उन्होंने सिर्फ और सिर्फ मेहनत पर ध्यान दिया।
आनंद कुमार की माने तो उनके मोबाइल में टेलीग्राम के अलावा सोशल मीडिया का कोई एप्लीकेशन नहीं है. ना फेसबुक ना ट्विटर ना यूट्यूब ना इंस्टाग्राम. पढ़ाई करने का पागलपन उन पर इस तरह से सवार रहता था कि वह 10-10 दिन तक नहाया नहीं करते थे।
आनंद कुमार कहते हैं जिस दिन रिजल्ट निकला तो सबसे पहले मैंने पापा को इस बारे में बताया वह खुशी से रो पड़े. मैंने उन्हें यह भी बताया कि मैं RO अर्थात रेवेन्यू ऑफिसर बन हूं और आगे चलकर सर्किल ऑफिसर बनूँगा. पापा को याद हो आया कि सर्किल ऑफिस में ही वे कभी चपरासी की नौकरी किया करते थे. आनंद ने कहा कि पापा ने मुझे बधाई देते हुए कहा कि तुमने गर्व से मेरा सीना चौड़ा कर दिया है तुम बहुत आगे जाओगे।
आनंद कुमार कहते हैं कि उन्हें दूसरी बार में सफलता हाथ लगी है. साल 2019 की एक घटना को याद करते हुए आनंद कुमार कहते हैं मैं स्टाफ सिलेक्शन कमिशन परीक्षा में भाग लिया था और मैं एलडीसी बना था. किसी ने मेरे माता-पिता को कहा कि जिस तरह आप जीवन भर चपरासी की नौकरी करते रहे इस तरह आपका बेटा भी चपरासी की नौकरी करते-करते परेशान होते रहेगा. मम्मी पापा घर आकर रोने लगे और उन्होंने मुझे सब कुछ बता दिया. इत्तेफाक देखिए उसी दिन 67 बीपीएससी का मेरा पीटी निकला था।
मैंने तय कर लिया था कि हर हाल में जमकर मेहनत करनी है और रैंक लेकर आना है. रिजल्ट आने के बाद मेरा पहला रिएक्शन था कॉपी डैट…