एक अध्ययन में गुरुवार (5 सितंबर 2024) को कहा गया कि नरेंद्र मोदी सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों से हर साल 60 से 70 हजार नवजात को मृत्यु क रोकने में मदद मिली है. यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट्स नाम के एक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था, जिसमें स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालयों तक पहुंच में बढ़ोतरी और 2000 से 2020 तक पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर में कमी के बीच संबंधों की जांच की गई थी.
600 से अधिक जिलों का किया गया विश्लेषण
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के शोधकर्ताओं ने 20 वर्षों में 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और 600 से अधिक जिलों को कवर करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़ों का विश्लेषण है. अध्ययन के अनुसार, जिला स्तर पर शौचालय तक पहुंच में 10 फीसदी का सुधार, शिशु मृत्यु दर में 0.9 अंकों की कमी और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 1.1 अंकों की कमी हुई है.
अध्ययन के लेखकों ने कहा कि भारत में शौचालय तक पहुंच और बच्चों की मृत्यु के बीच विपरीत संबंध है. उन्होंने कहा कि किसी जिले में शौचालय कवरेज में 30 फीसदी या उससे अधिक सुधार होने पर बाल मृत्यु दर में कमी हुई है. अध्ययन के अनुसार राष्ट्रीय स्वच्छता कार्यक्रम की वजह से ही ये सुधार हुए हैं.
पीएम मोदी ने रिपोर्ट की सराहनी की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिपोर्ट की सराहना करते हुए कहा कि बेहतर साफ सफाई भारत में जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तनकारी कदम साबित हुई है. उन्होंने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, “स्वच्छ भारत मिशन जैसे प्रयासों के प्रभाव को दर्शाने वाले शोध को देखकर खुशी हुई. शौचालयों तक पहुंच शिशु और बाल मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. स्वच्छता, सुरक्षित सफाई व्यवस्था जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम बन गई है और मुझे खुशी है कि भारत ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई है.”
पीएम मोदी ने एक्स पर ब्रिटेन की साप्ताहिक विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण और भारत में शिशु मृत्यु दर विषय पर हुए शोध का लिंक भी शेयर किया. स्वच्छ भारत मिशन खुले में शौच की कुप्रथा को खत्म करने और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार लाने के लिए दो अक्टूबर 2014 को केंद्र सरकार की ओर से शुरू किया गया एक देशव्यापी अभियान है.