पटना: नीतीश कुमार और जेडीयू की चर्चा खूब चल रही है और माना जा रहा है कि जेडीयू में जो ललन सिंह का इस्तीफा और नीतीश कुमार की अध्यक्ष पद पर फिर ताजपोशी हुई है। ये सब आगामी लोकसभा चुनाव-2024 में जेडीयू के जनाधार को बढ़ाने यानी नीतीश कुमार के नाम पर वोट लेने की कोशिश है। इस पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने पोल खोलते हुए कहा कि अभी तक नीतीश कुमार को जो वोट मिलता है उसकी दो वजहें हैं।
पहली बात कि जो नीतीश कुमार को वोट देता है उसकी मुख्य वजह है जो लालू यादव के खिलाफ वोट देता है। दूसरी मुख्य वजह है कि साल 2005 से 2012 तक नीतीश कुमार जो सरकार यहां पर चली उसमें कुछ काम होता या सुधार होता हुआ लोगों को दिखाई दिया। इस वजह से सुधारवादी लोगों ने भी उनको वोट दिया। लेकिन 2014 के बाद से नीतीश कुमार के राज में सुशासन जैसी वो बात देखने को नहीं मिली। इसी वजह से साल 2006 के विधानसभा चुनाव में 206 सीटें जीतने वाले नीतीश कुमार और एनडीए को 2015 में 125 सीट जीतने में भी मुश्किल हुई।
दरभंगा शहर में जन संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि वोट सिर्फ जाति के आधार पर नहीं होता है अगर जो एनडीए चुनाव लड़ी थी साल 2010 में वही एनडीए चुनाव लड़ी 2020 में तो उनकी सीटें 206 से घटकर 120 कैसे हो गई? यही बात तो हम आपको बताना चाह रहे हैं। लेकिन नीतीश कुमार की जो राजनीति है, जो उनका वोटर है, वो लालू यादव के विरोध पर, लालू यादव के जंगलराज के विरोध पर ही खड़ी रही है। उसमें जो एडिशन हुआ, आगे बढ़े तो कुछ लोग और जुड़े होंगे। नीतीश कुमार का जो मूल वोट है, वो लालू यादव के विरोध का है। जो लालू यादव से डरता है या लालू यादव को नहीं चाहता है, वो नीतीश कुमार को पहले वोट करता रहा है।