बहुचर्चित वेब सीरीज खाकी द बिहार चैप्टर से चर्चा में आये आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा को बिहार सरकार ने आखिरकार पोस्टिंग दे ही दी। वेब सीरीज के बाद ही अमित लोढ़ा मुकदमों की मार झेल रहे थे और सरकार के कोपभाजन बने हुए थे। पिछले दिनों सरकार ने लोढ़ा को आईजी से एडीजी के पद पर प्रमोशन देने का आदेश जारी किया था लेकिन उनकी पोस्टिंग नहीं हो सकी थी।
इसके साथ ही साथ सरकार ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे भारतीय पुलिस सेवा के 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी नैयर हसनैन खान और भारतीय पुलिस सेवा के 1994 बैच के आईएएस परश सक्सेना को भी नई जिम्मेवारी सौंपी है। बिहार सरकार के गृह विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।
सरकार ने लंबे समय से पोस्टिंग का इंतजार कर रहे दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का पदस्थापन किया है जबकि एक एक का स्थांतरण कर दिया है। ADG परेश सक्सेना को अपर आयुक्त असैनिक सुरक्षा का प्रभार सौंपा गया है जबकि नैय्यर हसनैन ख़ान को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद ADG EOU का प्रभार मिला है। वहीं सरकार ने ADG अमित लोढ़ा को राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो की जिम्मेवारी सौंपी है।
बता दें कि बिहार सरकार ने पिछले साल ही 1998 बैच के चार आईपीएस अधिकारियों को आईजी से एडीजी में प्रमोशन दे दिया था। 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी एम.आर. नायक, रत्न संजय कटियार, के.एस. अनुपम और अमृत राज को पिछले साल ही प्रमोशन दिया गया था लेकिन उसी बैच के अमित लोढ़ा को प्रोन्नति नहीं दी गयी थी। एक ही बैच के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की भी वरीयता सूची होती है। 1998 बैच के आईपीएस अधिकारियों में अमित लोढ़ा अपने ही बैच के रत्न संजय कटियार से सीनियर हैं लेकिन, सरकार ने सीनियर पदाधिकारी को छोड़ा जूनियर को प्रमोशन दिया था।
अमित लोढ़ा ने दर्ज करायी थी आपत्ति
सरकारी सूत्र बताते हैं कि इसे लेकर अमित लोढ़ा ने आपत्ति दर्ज करायी थी औऱ सरकार के समक्ष आवेदन दिया था। अमित लोढ़ा के खिलाफ सरकार की ओर से केस तो दर्ज कराया गया है, लेकिन अब तक उसमें वे दोषी नहीं पाये गये हैं औऱ ना ही उनके खिलाफ कोई चार्जशीट दायर की गयी है लिहाजा सरकार को मजबूरी में उऩका प्रमोशन करना पड़ा था। अमित लोढ़ा को एडीजी पद पर प्रमोशन दिया गया था लेकिन कहीं पोस्टिंग नहीं की गयी थी लेकिन अब लंबे समय बाद उन्हें पोस्टिंग मिली है।
लोढ़ा क्यों बने सरकार के कोपभाजन?
दरअसल, अमित लोढ़ा की लिखी किताब पर बहुचर्चित वेब सीरीज खाकी द बिहार चैप्टर बनी थी. इस वेब सीरिज में बिहार के सत्ता शीर्ष पर बैठे कुछ लोगों पर आरोप लगाये थे। इसके बाद अमित लोढ़ा पर सरकार की गाज गिरी थी। उऩके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर लिया गया था। सरकार की ओर से आरोप लगाया था कि जब अमित लोढ़ा गया रेंज के आईजी के पद पर थे, तब उन्हों पद का दुरुपयोग कर अवैध कमाई की। उन पर आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार से जुड़े कई आरोप लगाये औऱ उनकी जांच बिहार पुलिस की स्पेशल विजिलेंस यूनिट यानि एसवीयू को सौंपी गयी थी।
खाकी वेब सीरीज से अमित लोढ़ा चर्चा में आए थे। करोड़ों रुपये से अधिक खर्च करके वेब सीरीज ‘खाकी द बिहार चैप्टर’ बनाई गई थी. इसे बनाने में आईपीएस अमित लोढ़ा की भूमिका सीधे तौर पर नहीं है, लेकिन एसवीयू का आरोप था कि वेब सीरीज बनाने वाली कंपनी फ्राईडे स्टोरीटेलर्स एलएलपी के मालिकों के साथ उनके संबंध थे। वेब सीरीज बनाने वालों ने अमित लोढ़ा की पत्नी के खाते में पैसे के लेनदेन की थी। अमित लोढ़ा पर आरोप लगा था कि उन्होंने फ्राइडे स्टोरी टेलर एलएलपी और अन्य के साथ मिलकर अवैध रूप से निजी व्यापार में शामिल होकर कमाई की और 7 करोड़ से अधिक की संपत्ति अर्जित की। जबकि सभी कानूनी स्रोतों से उसकी कुल आय बिना किसी कटौती के 2 करोड़ से अधिक नहीं होनी चाहिए थी। इस मामले में सीनियर आईपीएस अमित लोढ़ा से विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने पूछताछ भी की थी।
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