केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे पर पूर्व विधान पार्षद डॉ. रणबीर नंदन ने कहा कि अमित शाह ने इस दौरे में अपनी छोटी सोच का परिचय बिहार और पूरे देश के सामने दे दिया. वे लखीसराय में यही बताते रहे कि वे ही सबकुछ हैं और पीएम के रूप में नरेंद्र मोदी ही सर्वश्रेष्ठ हैं. लेकिन आत्ममुग्धता में अमित शाह भूल गए कि वे भारत के उन महान हस्तियों और विभूतियों का अपमान कर रहे हैं, जो किसी दल के नहीं भारत के प्रधानमंत्री थे. इन प्रधानमंत्रियों में अटल बिहारी वाजपेयी जी भी थे, जिनकी रखी बुनियाद पर ही आज की भाजपा सत्ता में इतरा रही है।
डॉ. नंदन ने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में भाजपाईयों का योगदान नहीं था. यदि कुछ योगदान रहा भी होगा तो उसका अपमान भी आज अमित शाह ने कर दिया. अमित शाह अपने भाषण में बार बार कहते रहे कि जो काम नरेंद्र मोदी ने किया वो देश के किसी प्रधानमंत्री नहीं किया. इसका मतलब ये हुआ कि पंडित जवाहर लाल नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, गुलजारी लाल नंदा, इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई, राजीव गांधी, वीपी सिंह, चंद्रशेखर पीवी नरसिम्हा राव, एचडी देवेगौड़ा, आईके गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह जैसे महान नेताओं का अमित शाह ने अपमान किया।
डॉ. रणबीर नंदन ने कहा कि समय समय पर देश में परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिया जाता है. जितने भी देश के पीएम हुए ये किसी पार्टी के नहीं थे, ये भारत के प्रधानमंत्री थे. इसलिए देश के किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया, जैसे शब्द बोलकर अमित शाह ने भारतीय संविधान का अपमान किया है और वैसे लोगों का अपमान किया जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि अमित शाह ने ऐसे भाषण से बिहार के साथ पूरे देश की जनता द्रवित है. बिहार समेत पूरे देश में महंगाई की मार चरमसीमा तक पहुंच गई है लेकिन भाजपा सरकार अपने बड़बोलेपन में मस्त है. पूरे देश में महंगाई और बेरोजगारी के कारण भुखमरी पैदा हुई है और उसे रोकने में यह सरकार बुरी तरह फेल है. सरकार के फेल्योर का ही कारण है कि भाजपा का कोई नेता अपनी सरकार के काम नहीं गिनवाता बल्कि झूठे जुमलों में जनता को बरगलाने का प्रयास करता है।
डॉ. नंदन ने यह भी कहा कि आज अमित शाह ने बिहार में भाजपा को शत प्रतिशत सीटें लाने का रिकॉर्ड बार बार दुहरा रहे थे. लेकिन वे भूल गए कि उन्हें यह सीटें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कारण मिली थीं. इसके अलावा अमित शाह ऐसे नेता हैं जो अपने सहयोगियों को क्रेडिट देना तो दूर उनके अहसानों को भूल जाने की होड़ में लगे रहते हैं. आज भी उन्होंने अपने किसी सहयोगी का नाम नहीं लिया. सहयोगी दलों को भी चेत जाना चाहिए कि जब अभी उनका नाम लेने में अमित शाह को परहेज हो रहा है. तो भविष्य में उनकी क्या गति होगी।
पूर्व विधान पार्षद डॉ. रणबीर नंदन ने कहा कि जहां तक सीएम नीतीश कुमार का सवाल है तो समय रहते उन्होंने भाजपा से अलग होने का निर्णय लिया. यह बिहार के आम जनता की मांग थी क्योंकि भाजपा बिहार में सत्ता में साथ थी और इनके तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष हर एक दिन के बाद सरकार की आलोचना करते थे. क्या नीतीश जी ने अटल जी के साथ ऐसा व्यवहार किया था? अमित शाह यह जान लें कि बिहार में भाजपा को आने वाले लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिलने वाली है. दिवास्वप्न न देखें।