बिहार के बगहा में इंडो-नेपाल सीमा अंतर्गत वाल्मीकिनगर में एक अजगर घर में घुसकर आराम फरमा रहा था. छज्जे से सांप का आधा शरीर नीचे लटकता देख घर वालों की उसपर नजर पड़ी. जिसके बाद विशालकाय अजगर को देखते ही उनकी चीख निकल गई और उन्होंने फौरन इसकी सूचना वन विभाग को दी।
रिहायशी इलाकों में वन्य जीवों की एंट्री: गर्मी का मौसम आते ही वन्य जीवों का विचरण रिहायशी इलाकों में बढ़ गया है. भोजन, पानी और नमी की तलाश में गर्मी से व्याकुल होकर जंगली जानवर लोगों के घरों को अपना आरामगाह बनाने लगे हैं. जहां गुरूवार की शाम बेतिया के भंगहा गांव में एक बाघ घुस आया, वहीं इंडो-नेपाल सीमा पर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जंगल से सटे वाल्मीकिनगर के ई टाइप कॉलोनी में एक लंबा अजगर घर में घुस गया।
घर से निकला 8 फीट लंबा अजगर: बताया जा रहा है कि शिक्षक हरिनारायण प्रसाद के घर में 8 फीट लंबा अजगर सांप घुसकर छत के नीचे लगे खंभे के पीछे छुपा हुआ था. दरअसल वो घर पक्का मकान नहीं है बल्कि एस्बेस्टस का बना हुआ है. जिसकी वजह से छप्पर वाले घर में लगे लकड़ी के बीम के नीचे अजगर आराम फरमा रहा था. जैसे ही अजगर ने अपना आधा धड़ नीचे जमीन की तरफ लटकाया तो परिवारवालों की नजर उस पर पड़ गई, इसके बाद घर के लोग चीखने-चिल्लाने लगें. लोगों ने वन विभाग को इसकी सूचना दी. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने अजगर को रेस्क्यू किया और वापस जंगल में छोड़ दिया।
क्या कहते हैं फॉरेस्ट रेंजर: बता दें कि वनरक्षी ओम प्रकाश सिंह के नेतृत्व में धर्मेंद्र कुमार, गजेंद्र कुमार, नीरज कुमार और सन्नी खान ने काफी मशक्कत के बाद घर के छत के बीम में रेंगते अजगर सांप का सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर लिया. रेंजर श्रीनिवासन नवीन ने बताया कि अजगर को वीटीआर के जटाशंकर जंगल मे सुरक्षित छोड़ दिया गया. गर्मी की तपिश बढ़ते ही जानवर भोजन और ठंढी जगह की तलाश में रिहायशी इलाकों में चले आते हैं।
“गर्मी का मौसम आते ही वन्य जीवों का विचरण रिहायशी इलाकों में बढ़ गया है. वो भोजन, पानी और नमी की तलाश में गर्मी से व्याकुल होकर इधर आते हैं. ऐसे में वन विभाग की टीम हमेशा मुस्तैद रहती है और सूचना मिलते हीं रेस्क्यू कार्य में जुट जाती है.”-श्रीनिवासन नवीन, रेंजर