गुप्तेश्वर धाम जाने का रास्ता बंद होने से श्रद्धालुओं में आक्रोश, 20 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे रहे भक्त

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बिहार के प्राचीन शिवलिंगों में शुमार रोहतास के गुप्तेश्वर धाम शिवालय जाने वाले पहाड़ी रास्ते को वन विभाग ने बंद कर दिया है. पहले सोमवारी को शिवलिंग पर जलाभिषेक नहीं कर पाने से श्रद्धालुओं में आक्रोश है. जिला प्रशासन के द्वारा धाम जाने वाले रास्ते को बंद कर देने से बच्चे, बुजुर्ग सहित महिलाओं को परेशानी हो रही है. रास्ता बंद होने से 18 से 20 किलोमीटर का फासला पैदल तय करना पड़ रहा है।

वन विभाग ने बंद किया रास्ता: दरअसल, पिछले साल सावन के महीने में दुर्गम रास्ते से जाने के दौरान कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे. जिसको देखते हुए वन विभाग के द्वारा गुप्ता धाम जाने वाले सड़क मार्ग को बंद कर दिया गया है. ऐसे में सभी प्रकार के वाहनों का प्रवेश दुर्गावती जलाशय के पास ही रोका गया है. बीते रात से ही सैकड़ों श्रद्धालु विभिन्न गाड़ियों के साथ गेट के पास खड़े हैं और गुप्ता धाम जाने के लिए रास्ते खोले जाने की मांग कर रहे हैं।

“रास्तों को सुगम किया जाए और श्रद्धालुओं के लिए वहां को पवित्र गुप्ता धाम गुफा तक जाने दिया जाए. इन लोगों का कहना है कि रसूखदार और प्रशासन की गाड़ियां को आने-जाने की परमिशन दी जाती है और आम शिवभक्तों को रोका जा रहा है.” – जगन्नाथ यादव, ग्रामीण चेनारी

पैदल जाने को मजबूर हैं श्रद्धालु: बता दें कि गुप्ता धाम पहले श्रद्धालु लगभग 25 से 30 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती थी. रास्ता बन जाने के वजह से इन दुर्गम रास्तों पर वाहनों का परिचालन होने लगा. जिससे श्रद्धालुओं को काफी सहूलियत हुई. 10 घंटे का सफर 1 घंटे में ही पूरा हो जाने लगा, लेकिन पिछले दिनों हुए कई हादसों के कारण स्थानीय प्रशासन ने वाहनों के लिए इस रास्ते को बंद कर दिया है. जिस कारण अब लोग पैदल जाने को मजबूर है।

“चारो धाम की यात्रा कर काशी से भगवान भोले को जलाभिषेक करने आए हैं. साधना भी करना है. गेट पर हमारे वाहन को रोक दिया गया. साधु संतों को भी रोका जा रहा है. यह कही से भी उचित नहीं है.” -राजकुमार, अघोरी बाबा

पांच बार दुर्गावती नदी को पार करना पड़ता है: इस गुफा तक पहुंचने का रास्‍ता आसान नहीं है. जिला मुख्‍यालय सासाराम से 65 किमी की दूरी पर स्थित इस गुफा तक पहुंचने के लिए भक्‍तों को दुर्गावती नदी को पांच बार और पांच पहाड़ियों की यात्रा करने के बाद इस गुफा तक पहुंचने का सौभाग्‍य प्राप्‍त होता है।

दूसरे राज्य से भक्त आकर करते हैं जलाभिषेक: बिहार के ऐतिहासिक गुप्‍तेश्‍वर महादेव में बक्‍सर से गंगाजल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने की पुरानी परंपरा चली आ रही है. खासतौर से सावन और शिवरात्रि में बिहार, झारखंड, उत्‍तर प्रदेश, मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और नेपाल से भी भक्‍त यहां आकर जलाभिषेक करते हैं।

गुप्‍ता धाम का इतिहास: प्राचीन कथा के अनुसार एक बार भस्मासुर भोलेनाथ को खुश करने के लिए तपस्‍या कर रहा था. उसकी तपस्‍या देखकर भगवान शिव खुश हो गए. उन्‍होंने भस्‍मासुर से कहा कि हम तुम्‍हारी तपस्‍या से प्रसन्‍न हैं, जो वरदान मांगना चाहते हो मांगों. भस्मासुर ने वरदान मांगा कि मैं जिस किसी के भी सिर पर हाथ रखूं वह भस्‍म हो जाए. भस्‍मासुर मां पार्वती के सौंदर्य पर मोहित होकर भगवान शिव से मिले वरदान की परीक्षा लेने की के लिए उन्‍हीं के सिर पर हाथ रखने के लिए दौड़े तब भगवान शिव भागकर इस गुफा के गुप्‍त स्‍थान पर छिप गए थे।

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