22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में गर्भगृह में लगने वाली भगवान रामलला की मूर्ति फाइनल हो गई हैं। राम मंदिर ट्रस्ट ने मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई मूर्ति को फाइनल किया है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है। अरुण योगीराज ने कृष्ण शिला पर 5 साल के राम लला की मूर्ति बनाई है। कृष्ण शिला को कर्नाटक के कारकाला से निकाला गया है। पिछले साल फरवरी-मार्च में इस शिला का चयन राम लला की मूर्ति बनाने के लिए किया गया था। इसके बाद कर्नाटक से 10 टन वजनी, 6 फीट चौड़ी और 4 फीट श्याम शिला अयोध्या लाई गई थी जिसपर अरुण योगीराज ने भगवान रामलला का विग्रह तराशा है।
जानिए अरुण योगीराज के बारे में-
अरुण योगीराज के घर में खुशी की लहर
वहीं, आपको बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए मैसूरु के शिल्पकार अरुण योगिराज की बाल स्वरूप भगवान राम की मूर्ति के चयन को लेकर केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया पर जैसे ही जानकारी दी मैसूरू में अरुण योगीराज के घर में खुशी की लहर दौड़ गई। अरुण की मां, पत्नी और बहन सभी उनकी बनाई हुई मूर्ति के चयन से काफी आनंदित हैं। अरुण की मां सरस्वती अपने खुशी के आंसू रोक नहीं पा रही हैं।
उन्होंने कहा, मुझे बहुत बहुत खुशी हो रही है, काश आज अरुण के पिता भी जीवित होते तो वे और भी खुश होते। पूरी दुनिया मेरे बेटे की बनाई भगवान राम की मूर्ति के दर्शन करेगी, इससे बड़ी और कोई खुशी हो ही नहीं सकती।
‘जब तक अरुण को खुद भगवान नज़र नहीं आ जाते, वो शिला पर काम करते रहते हैं’
अरुण की पत्नी विजेता ने कहा, मेरे पास शब्द नहीं हैं, मैं बहुत खुश हूं और गर्व महसूस कर रही हूं। मेरे पति ने मुझे ये सब नहीं बताया मुझे भी मीडिया से ही पता चला। मुझे यकीन नहीं हुआ कि ये खबर सही है या गलत, मैंने सोचा अरुण से ही पूछ लेती हूं मैंने उन्हें कॉल किया तो वो काम में व्यस्त थे, बाद में जब उन्होंने कॉल किया तो मैंने उनसे ये बात पूछी। उन्होंने भी कहा कि अभी तक उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है।
विजेता ने बताया, अरुण ने काम से कभी समझौता नहीं किया। वह हमेशा अपना 100 फीसदी देते हैं, बहुत सारी रिसर्च करते हैं। वह बहुत समर्पित होकर अपने काम को करते हैं और बहुत समय देते हैं,जब तक उन्हें खुद भगवान नजर नहीं आ जाते वो शिला पर काम करते रहते हैं।
हमें दुनिया की सबसे बड़ी खुशी मिली- अरुण की बहन
वहीं, अरुण की बहन चेतना ने बताया, इस खबर ने हमें दुनिया की सबसे बड़ी खुशी दी है। बचपन से ही अरुण मूर्तिकारिता में दिलचस्पी लेता रहा है, हालांकि मेरी मां को इस बात का दुःख रहा कि घर में सभी मूर्ति बनाते हैं कोई अच्छा पढ़ा लिखा नहीं है यही वजह है कि हमने अरुण को MBA तक पढ़ाया लेकिन उसका ध्यान हमेशा मूर्ति बनाने पर ही था। कॉलेज से आने बाद भी वो ज्यादातर टाइम वर्कशॉप में ही रहता था और पापा की मदद करता था। उसने पढ़ाई जरूर की लेकिन उसमें उसकी रुचि नहीं थी वो हमेशा से ही मूर्ति बनाने के काम को ही पसंद करता है।
अरुण योगीराज प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के बेटे हैं। अरुण के दादा को वाडियार घराने के महलों में खूबसूरती देने के लिए जाना जाता है। अरुण मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं। अरुण पूर्वजों की तरह मूर्तिकार नहीं बनना चाहते थे। 2008 से मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए किया। इसके बाद वो एक प्राइवेट कंपनी के लिए काम किया। उनके दादा ने भविष्यवाणी की थी कि अरुण बड़े मूर्तिकार बनेंगे और 37 वर्षों बाद ये सच हुआ।