ज्ञानवापी परिसर में पहुंची ASI की टीम, सर्वे हुआ शुरू, IIT के एक्सपर्ट करेंगे मदद; पढ़े पूरी रिपोर्ट

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आज से ज्ञानवापी परिसर का सर्वे फिर से शुरू हो गया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद आज दोबारा सर्वे शुरू हो रहा है। सुबह सात बजे से ASI की टीम सर्वे का काम शुरू करने ज्ञानवापी के अंदर पहुंच गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने सेशन कोर्ट के आदेश का तत्काल पालन करते हुए सर्वे शुरू करने का ऑर्डर दिया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि सर्वे के दौरान किसी तरह की खुदाई नहीं होगी। इस बीच हाईकोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर के आसपास हलचल बढ़ गई है।

ज्ञानवापी पर सुरक्षा टाइट, सर्वे में आईआईटी कानपुर की टीम कर रही मदद

ज्ञानवापी और काशी विश्वनाथ के 500 मीटर के दायरे में करीब 1600 जवान सुरक्षा में तैनात हैं। पुलिस भी अलर्ट पर है, बैरिकेडिंग बढ़ाई गई है। गेट नंबर पांच के पास से सर्वे की टीम अंदर गई। पिछली बार भी टीम यहीं पर जमा हुई थी। इस बार भी ये टीम इसी गेट से अंदर गई है। बता दें कि पिछली बार मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का बहिष्कार किया था। आज सर्वे के दौरान वादी पक्ष के सदस्य और उनके वकील साथ हैं। इसके साथ-साथ सरकारी वकील भी सर्वे के दौरान मौजूद हैं। ASI की टीम के साथ आईआईटी कानपुर की टीम भी मदद कर रही है जो ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रेडार की मदद से सर्वे करा रही है, ताकि ज्ञानवापी परिसर में बिना किसी ड्रिलिंग या खुदाई के सर्वे किया जा सके।

मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से की सर्वे रुकवाने की मांग

वहीं मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से ASI के सर्वे पर रोक लगाने की मांग की है। मुस्लिम पक्ष ने CJI की पीठ में मेंशनिंग करते हुए मांग की है कि ASI सर्वे पर रोक लगनी चाहिए। मुस्लिम पक्ष ने याचिका में कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश ईमेल कर दिया गया। मुस्लिम पक्ष की याचिका से पहले ही श्रृंगार गौरी मुकदमे की मुख्य याचिकाकर्ता राखी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट पिटीशन दाखिल कर दी है। राखी सिंह की याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पक्ष की याचिका पर किसी फैसले से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए। इतना ही नहीं इस केस में बौद्ध समाज की भी एंट्री हो गई है। गुरु सुमित रतन भंते ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनका दावा है कि ज्ञानवापी उनका मठ है। उन्होंने कहा कि देश में तमाम ऐसे मंदिर हैं, जो बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं।

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