वैज्ञानिक अविष्कारों और तकनीक ने मानव जीवन को बेहद आसान बना दिया है। अब घर बैठे-बैठे आप दुनिया से कुछ भी मंगवा सकते हैं। भूख लगी है लेकिन खाना बनाने का मन नहीं है तो आप एप की मदद से खाना आर्डर कर सकते हैं। यह तकनीक जितनी सहायक है उतनी खतरनाक भी है। हर रोज कई लोग इसका शिकार हो रहे हैं। आजकल साइबर ठग नए-नए तरीकों से लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। इसी में आजकल एक स्कैम खूब चल रहा है।
बुजुर्ग के पास आया फ़ोन कॉल और…
दरअसल बेंगलुरु में रहने वाले 66 साल के एक बुजुर्ग के पास फोन आता है कि आपने जो सामान मंगवाया था, उसमें कुछ प्रतिबंधित सामान मिला है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, ठगी का शिकार हुआ बुजुर्ग का नाम देबाशीष है और उसे कार्तिकेय नाम के एक व्यक्ति का फ़ोन आया था। कार्तिकेय ने देबाशीष को बताया कि उसके खिलाफ मुंबई में एक मामला दर्ज किया गया है, जिसमें उन पर 5 समाप्त पासपोर्ट, 6 क्रेडिट कार्ड और 950 ग्राम प्रतिबंधित पदार्थ एमडीएमए सहित अवैध वस्तुओं को ताइवान भेजने का आरोप लगाया गया है।
मांगी गई थी बैंक खातों की जानकारी
कार्तिकेय ने देबाशीष को स्काइप कॉल के जरिए अंधेरी पुलिस अधिकारी से जुड़ने के लिए निर्देशित किया। जैसे ही बुजुर्ग ने लिंक खोला तो उन्होंने खुद को मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच पुलिस के प्रदीप सावंत बताया। पुलिस ने दास को मनी लॉन्ड्रिंग के लिए उनके नाम पर कथित तौर पर फर्जी बैंक खाते खोलने की जानकारी दी और कहा कि यदि वे अपना नाम इस मामले से हटवाना चाहते हैं तो उन्हें सभी बैंक खातों का विवरण पुलिस उपायुक्त को देना होगा।
अपने खाते से दूसरे खाते में पैसों को ट्रांसफर करने को कहा गया
इसके बाद नकली पुलिस अधिकारी बने बैठे ठग ने बुजुर्ग से अपने सभी बैंक अकाउंट बंद करने और सभी पैसे को एक अकाउंट में ट्रांसफर करने को कहा। बुजुर्ग ने पुलिस अधिकारी की बात पर भरोसा करते हुए अपने भारतीय स्टेट बैंक खाते से पंजाब नेशनल बैंक के एक खाते में आरटीजीएस के माध्यम से 1.52 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद जैसे ही बुजुर्ग ने पैसे ट्रांसफर किए तो ठगों ने कॉल काट दी और गायब हो गए। उसके बाद बुजुर्ग ने बार-बार उसने संपर्क साधने की कोशिश लेकिन वह विफल रहा और तब जाकर उसे ठगी का शिकार होने का एहसास हुआ।