9 दिसंबर को बेंगलुरु में अपने बेडरूम के सीलिंग फैन से लटककर फांसी लगाने वाले एआई इंजीनियर Atul Subhash, की कहानी सुन के आज पूरे देश में इसी बारे में बात चल रही है। बेंगलुरु के रहने वाले Atul 23 पेज का एक सुसाइड नोट छोड़, पत्नी और ससुराल वालों पर प्रताड़ित करने और न्याय व्यवस्था में खामी का आरोप लगाए हैं। बात करें उस 23 पेज के नोट की तो उसके एक पेज पर Atul ने अपने चार साल के बेटे के लिए भी भावुक कर देने वाला नोट लिखा है। जिसमें उन्होंने अपने बेटे के लिए 1000 बार कुर्बान होने की बात की है।
अतुल सुभाष ने लिखा, “बेटा जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा तो सोचा कि मैं तुम्हारे लिए किसी भी दिन अपनी जान दे सकता हूं, लेकिन दुख की बात है कि मैं तुम्हारे कारण अपनी जान दे रहा हूं। मुझे अब तुम्हारा चेहरा भी याद नहीं है जब तक कि मैं तुम्हारी वो फोटो न देख लूं, जब तुम एक साल के थे। मुझे अब तुम्हारे बारे में कभी-कभी दर्द के अलावा कुछ भी महसूस नहीं होता। अब तुम बस एक टूल की तरह हो, जिसका इस्तेमाल करके मुझसे और अधिक उगाही की जाएगी।”
आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि इससे तुम्हें दुख होगा, लेकिन सच्चाई यह है कि अब मुझे ऐसा लग रहा है तुम मेरे द्वारा की गई एक गलती हो। यह दुखद है कि यह बेशर्म व्यवस्था एक बच्चे को अपने पिता पर बोझ और दायित्व बना सकती है। मैं परिवार से अलग रह रहे ऐसे बहुत से पिताओं से मिला हूं, उनमें से ज्यादातर जब ऑनेस्टली बात करते हैं तो उनकी भावनाएं भी ऐसी ही होती हैं। कुछ भावुक लोग अपने बच्चों के जीवन का हिस्सा बनने की बेताबी से कोशिश करते हुए हर रोज (अंदर से) मर जाते हैं। सिस्टम हर पिता के साथ ऐसा करना चाहता है। मैं ऐसा नहीं करने जा रहा हूं। जब तक मैं जीवित हूं और पैसे कमाता हूं, वे मुझसे अधिक से अधिक पैसे ऐंठने के लिए तुम्हारे दादा-दादी, चाचा और मुझे परेशान करने के लिए तुम्हें एक टूल के रूप में इस्तेमाल करेंगे। मैं उन्हें अपने पिता, मां और भाई को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं करने दे सकता।
आगे बात करते हुए Atul कहते है कि मैं अपने पिता के लिए तुम्हारे जैसे 100 बेटों का बलिदान कर सकता हूं और तुम्हारे लिए मैं खुद को एक हजार बार कुर्बान कर सकता हूं, लेकिन मैं अपने पिता की प्रताड़ित करने का कारण नहीं बनूंगा। मुझे शक है कि तुम कभी समझ पाओगे कि पिता क्या होता है, लेकिन मैं अच्छी तरह जानता हूं कि पिता क्या होता है। इसके बाद एक पिता क्या होता है और यह कितनी सौभाग्य की बात है, वे कहते हैं कि पिता होना सौभाग्य की बात है। वो मेरे लिए गौरव हैं। वो वही हैं जैसा मैं हमेशा बनने की कोशिश करता रहा। वह वही है जिसे एक बेटा चुनौती देना चाहता है। वह वही है जिस पर एक बेटा गर्व करना चाहता है। पिता पुत्र के रिश्ते को न तो लिखा जा सकता है और न ही शायद समझा जा सकता है, लेकिन अब समझाना व्यर्थ है। तुम मुझे नहीं जानोगे। काश मैं तुम्हारे साथ होता। मैं इतना कुछ देना चाहता था जो मैंने समझा, सीखा और जाना।