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I am satyavrat Singh news reporter of vob from Munger Bihar.

अपहरण मामले मे सात गिरफतार, आरोपियों के पास से 2 करोड़ 25 लाख रुपए बरामद

उत्तर प्रदेश :- गाजियाबाद में एक अपहरण का हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने दोस्‍ती जैसे पवित्र रिश्‍ते को दागदार करने का काम किया है। दरअसल, आठ आरोपियों ने दिल्ली के बड़े व्यापारी का अपहरण कर लिया और उसे बंधक बना लिया। आरोपियों ने व्‍यापारी से दो करोड़ 75 लाख रुपये की फिरौती वसूल की। पुलिस ने अब इस मामले का खुलासा करते हुए आरोपियों के पास से 2 करोड़ 25 लाख रुपए बरामद कर लिए हैं। साथ ही एक स्कॉर्पियो कार को भी बरामद किया है। गाजियाबाद पुलिस ने शिल्पा त्यागी, हर्षित, कार्तिक, प्रदीप, पीतांबर, निमेष और निशान को गिरफ्तार किया है। हालांकि इस मामले का मास्टरमाइंड वासु त्यागी देहरादून की जेल में बंद है।

दरअसल, वासु त्यागी की शशांक शर्मा नाम के एक व्यक्ति से दोस्ती थी। शशांक शर्मा दिल्ली में रहता है और सहारनपुर में उसकी कपड़े की फैक्ट्री है। वासु जानता था कि शशांक के पास पैसे की कोई कमी नहीं है और डेली रूटीन में काफी सारा पैसा लेनदेन में आता है। वासु ने अपनी दोस्ती का फायदा उठाकर 14 अक्टूबर को शशांक को फोन करके बुलाया और राजनगर एक्सटेंशन के फ्लैट में उसको रखा।

 

मारपीट कर की थी 6 करोड़ की मांग

 

यह फ्लैट इन्होंने किराए पर इसी काम के लिए लिया था। उसके बाद उन्होंने शशांक के साथ मारपीट की और 6 करोड़ की मांग की। शशांक किसी तरह से 2 करोड़ 75 लाख का इंतजाम कर पाया और आरोपियों को उसने यह राशि दे दी।

 

पुराने आपराधिक मामले में जेल गया आरोपी

 

इस मामले में पैसा लेकर अन्‍य लोग तो फरार हो गए, लेकिन वासु त्यागी पुलिस की पकड़ में ना आए, इसलिए 18 अक्‍टूबर को देहरादून में एक पुराने आपराधिक मामले में कोर्ट में हाजिर होकर जेल चला गया।

 

पुलिस ने सात लोगों को किया गिरफ्तार

 

गाजियाबाद डीसीपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि शशांक शर्मा ने आरोपियों के चंगुल से छूटने के बाद इस मामले की पुलिस में शिकायत की। उन्‍होंने बताया कि पुलिस ने इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, वहीं वासु को देहरादून जेल से लाया जाएगा। बता दें कि इस साजिश में एक पति-पत्‍नी और पत्‍नी का भाई भी शामिल है।

टिकट न मिलने से नाराज नेताओं ने बीजेपी दफ्तर में किया हंगामा, भूपेंद्र यादव के साथ धक्का-मुक्की करते वीडियो वायरल

मध्य प्रदेश:- विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी अब तक उम्मीदवारों की पांच लिस्ट जारी कर चुकी है। पांचवीं लिस्ट में भी नाम ना आने से नाराज बीजेपी नेताओं और उनके समर्थकों ने शनिवार, 21 अक्टूबर को मध्य प्रदेश बीजेपी के जबलपुर दफ्तर में जमकर हंगामा किया। इस दौरान वहां मौजूद केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के साथ भी धक्का-मुक्की हुई और उनके सुरक्षा गार्ड से हाथापाई भी की गई।

 

तीन लोगों को किया गया गिरफ्तार

 

पुलिस अधीक्षक ए.पी. सिंह ने बताया कि केंद्रीय मंत्री के अंगरक्षकों की शिकायत के आधार पर, लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन में बाधा डालने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि घटना में शामिल अन्य लोगों की पहचान की जा रही है।

 

 

भूपेंद्र यादव के साथ धक्का-मुक्की करते वीडियो वायरल

 

सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में भीड़ को मध्य प्रदेश भाजपा चुनाव अभियान समिति के प्रभारी भूपेंद्र यादव के आसपास धक्का-मुक्की करते देखा जा सकता है। जबकि एक सुरक्षाकर्मी मंत्री की सुरक्षा करने की कोशिश करता दिख रहा है। वीडियो में कुछ लोगों को सुरक्षा गार्ड की वर्दी पहने एक व्यक्ति पर प्रहार करते भी देखा गया, जिसने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश करते हुए रिवॉल्वर निकालने की कोशिश की।

 

भाजपा के 92 उम्मीदवारों की पांचवीं सूची जारी होने के तुरंत बाद, पार्टी कार्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं की यादव और राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार सहित वरिष्ठ नेताओं के साथ तीखी नोकझोंक हुई।

 

 

228 उम्मीदवारों की हुई घोषणा

 

जबलपुर भाजपा जिला अध्यक्ष प्रभात साहू से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि जब विरोध-प्रदर्शन किया गया तब पार्टी के वरिष्ठ नेता कार्यालय में मौजूद थे और फैसला उन्हें ही करना है। राज्य में सत्तारूढ़ दल ने अब तक गुना और विदिशा सीट को छोड़कर, अगले महीने होने वाले चुनावों के लिए 230 में से 228 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।

 

सूत्रों के मुताबिक, जबलपुर उत्तर से अभिलाष पांडे को टिकट देने की घोषणा के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया, क्योंकि स्थानीय नेता उन्हें बाहरी मानते हैं। भाजपा सूत्रों और नेताओं के मुताबिक, इसी तरह की घटनाएं अन्य जगहों पर भी हुईं। अन्य निर्वाचन क्षेत्रों से भाजपा के टिकट से वंचित कुछ नेताओं के समर्थकों ने भी प्रदर्शन किया। ग्वालियर में पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल के समर्थकों ने बारादरी क्षेत्र में सड़क जाम कर प्रदर्शन किया।

 

 

 

पार्टी कार्यकर्ताओं का हंगामा पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है

 

टिकट न मिलने पर, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी रिश्तेदार एवं पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक अनूप मिश्रा ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं का गुस्सा 17 नवंबर के चुनाव में पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।

 

 

मिश्रा ने कहा कि अगर पार्टी कार्यकर्ता भाजपा के पक्ष में प्रचार करते हैं तो इससे पार्टी को मदद मिलेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह पार्टी के एक प्रतिबद्ध सिपाही हैं। कांग्रेस ने भाजपा में टिकट बंटवारे पर हंगामे को लेकर मद्देनजर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा।

 

 

 

चौहान को भाजपा की टिकट की कीमत बतानी चाहिए : के.के. मिश्रा

 

प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने कहा कि चौहान टिकट वितरण को लेकर विपक्षी पार्टी पर निशाना साध रहे थे, लेकिन इसके विपरीत, भाजपा के चुनाव प्रभारी यादव को पार्टी कार्यकर्ताओं के गुस्से का सामना करना पड़ा। उन्होंने जबलपुर की घटना का एक वीडियो साझा करते हुए दावा किया कि यहां तक कि यादव के सुरक्षा गार्ड की भी दूसरों ने सुरक्षा की। मिश्रा ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट शेयर किया कि चौहान को भाजपा की टिकट की कीमत बतानी चाहिए।

 

 

 

वहीं कांग्रेस ने अपने MP Congress के आधिकारिक ट्विटर हैंडल (@INCMP)से एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का विरोध, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के ख़िलाफ़ भाजपा कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाज़ी की और प्रदेश अध्यक्ष को चोर और दलाल कहकर विरोध प्रदर्शन किया। शिवराज जी, अब तो हर तरफ़ बीजेपी नेताओं की कुटाई, पिटाई, धुलाई और धूल चटाई की खबरें आ रही हैं?

 

देवास जिले के खातेगांव में लोगों के एक समूह द्वारा हाल में कांग्रेस में शामिल हुए भाजपा नेता दीपक जोशी के वाहन को रोकने और हमला करने का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आया। प्रदर्शनकारियों ने वाहनों की खिड़कियां तोड़ दीं और कांग्रेस से जोशी की उम्मीदवारी का विरोध करते हुए काले झंडे दिखाए। जोशी ने ट्वीट कर संकेत दिया कि इस घटना के पीछे कांग्रेस नेताओं का हाथ है।

15 दिनों के ट्रायल में एक व्यक्ति को दी फांसी की सजा को किया निरस्त, जाने पूरा मामला

दिल्ली :- सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर में अप्रैल, 2018 में तीन महीने की बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के लिए एक व्यक्ति को दी गई मौत की सजा को निरस्त कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले का ट्रायल जल्दबाजी में 15 दिनों में पूरा किया गया था और आरोपी को अपना बचाव करने का उचित अवसर नहीं दिया गया था।

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि जल्दबाजी में सुनवाई न केवल निरर्थक और स्टेज मैनेज्ड होगी बल्कि न्यायिक शांति के सिद्धांत का भी उल्लंघन है। शीर्ष अदालत ने मामले को इंदौर सत्र अदालत में वापस भेजते हुए इस पर नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि इस मामले में मुकदमा रोजाना आधार पर चलाया गया था और ऑर्डर-शीट में यह भी दर्ज नहीं है कि गवाहों के बयान की प्रतियां आरोपी या उसके वकील को दी गई थीं। यह भी नहीं मालूम है कि बचाव पक्ष के वकील को सभी आवश्यक सामग्री आपूर्ति की गई थी, ताकि वह अंतिम दलीलें दे सके।

 

 

बेस्ट बेकरी मामले में अपने फैसले का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि इस प्रकार यह तय हो गया है कि जल्दबाजी में सुनवाई की गई। जिसमें आरोपी को खुद का बचाव करने के लिए उचित और पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया, वह सुनवाई को निरर्थक बना देगा। पीठ ने कहा कि हमारे विचार में न्याय के पवित्र स्थल में एक निष्पक्ष सुनवाई का सार न्यायिक शांति के दृढ़ स्वीकार्यता में निहित है।

 

 

इस मामले में अपीलकर्ता नवीन उर्फ अजय को 20 अप्रैल, 2018 को गिरफ्तार किया गया था। पीठ ने कहा कि मौजूदा मामले में अभियोजन परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। अभियोजन पक्ष को परिस्थितिजन्य साक्ष्यों में प्रत्येक कड़ी को साबित करना होता है और इसमें महत्वपूर्ण कड़ी डीएनए रिपोर्ट, एफएसएल रिपोर्ट और विसरा रिपोर्ट हैं। लेकिन इन रिपोर्ट को तैयार करने वाले किसी भी व्यक्ति को गवाह के रूप में नहीं बुलाया गया। हाईकोर्ट द्वारा इस तथ्य को नजरअंदाज करना सही नहीं था। पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी के साथ ऐसा व्यवहार किया, मानो उसके पास जादू की छड़ी हो। इस मामले में 20 अप्रैल को घटना हुई और आरोपपत्र 27 अप्रैल, 2018 को सात दिनों के रिकॉर्ड समय में दायर कर दिया गया था। ट्रायल कोर्ट ने फैसला 12 मई, 2018 को सुना दिया था।

खूंखार डाकुओं द्वारा निर्मित और संरक्षित:- भवाल माता मंदिर

हिंदू देवी-देवताओं से जुड़ी भारत में अनेक किवदंतियां है। देश में ऐसे कई मंदिर है, जिनके रहस्य लोगों को हैरान कर देते है। आज हम उस मंदिर के बारे में बात कर रहे है जिसकी रक्षा डाकुओं ने की थी। इतना ही नहीं डाकुओं ने ही मंदिर का भव्य निर्माण कराया था। हम बात कर रहे है भंवाला माता मंदिर की।

 

 

नागौर जिले में मेड़ता से लगभग 20-22 कि.मी. दक्षिण में स्थित एक गाँव है, भवाल। यहाँ लगभग 700 वर्ष पूर्व निर्मित महाकाली का एक प्राचीन मन्दिर है। इस मन्दिर के शिलालेख से पता चलता है कि विक्रम संवत् 1380 की माघ बदी एकादशी को इस मन्दिर का निर्माण हुआ था। महाकाली भवाल माता के नाम पर ही इस कस्बे का नाम भवाल पड़ा। लोगो की परम्परा के अनुसार इस देवी को मंदिरा का भोग चढ़ाया जाता है। लोकविश्वास के अनुसार यह देवी जिस भक्त पर प्रसन्न होती है उसी का भोग ग्रहण करती है।

 

 

 

पौराणिक कथाओं के अनुसार असुरों के अत्याचारों से व्यधित होकर त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्य देवी देवताओं ने माता पार्वती को दो रूप प्रदान किये। एक वात्सल्य की प्रतिमूर्ति अम्बा और दूसरी पाप का नाश करने वाली रुद्राणी। सौभाग्य से देवी के दोनों रूपों का प्रत्यक्ष दर्शन भवाल ग्राम के इस मंदिर में देखने को मिलता है।

 

 

 

इस मंदिर के गर्भगृह में देवी माता की दो मूर्तिया विराजमान है। दाईं ओर ब्रह्माणी माता और बाएं और काली माता की मूर्ति स्थापित है। ब्रह्माणी माता को मीठे प्रसाद का भोग लगाया जाता है, जबकि काली काता को शराब का भोग लगाया जाता है। इस मंदिर में लाखों भक्तों का तांता लगा रहता है। भक्त अपनी मन्नत पूरी होने के बाद भी मंदिर में दोबारा माथा टेकने के लिए आते हैं।

 

 

 

नागौर जिले के भंवाल ग्राम में स्थित भंवाल माता मंदिर की कहानी थोड़ी अलग है। दूसरे देवी मंदिरों की तरह यहां माता को सिर्फ लड्डू, पेड़े या बर्फी का नहीं, शराब का भोग भी लगता है। वह भी ढाई प्याला शराब। सुनने में यह थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन यह सच है। यह भोग मगर हर भक्त नहीं चढ़ा सकता। इसके लिए भक्तों को भी आस्था की कसौटी पर परखा जाता है। यदि माता को प्रसाद चढ़ाने आए श्रद्धालुओं के पास बीड़ी, सिगरेट, जर्दा, तंबाकू और चमड़े का बेल्ट, चमड़े का पर्स आदि होता है तो भक्त का प्रसाद माँ द्वारा ग्रहण नहीं किया जाता है।

 

 

 

मंदिर में स्थापित काली माता को प्रत्येक भक्त द्वारा लगी गई मदिरा में से ढाई प्याला शराब का भोग लगाया जाता है। लेकिन हर किसी भक्त का भोग माता द्वारा ग्रहण नहीं किया जाता। ऐसी मान्यता है कि माता को जिस भक्त की मन्नत पूरी करनी होती है, सिर्फ उसी का भोग माता ग्रहण करती हैं। मदिरा के भोग के दौरान मंदिर के पुजारी अपनी आंखें बंद कर देवी माता से प्रसाद ग्रहण करने का आग्रह करते है। पलक झपकते ही प्याले से मदिरा अपने आप गायब हो जाती है। चांदी के प्याले को भरकर 3 बार मदिरा का भोग लगाया जाता है। बताया जाता है कि जब तीसरी बार माता को भोग लगाया जाता है तो प्याला आधा भरा हुआ बच जाता है।

 

 

 

मंदिर प्राचीन हिन्दू स्थापत्य कला के अनुसार तराशे गए पत्थरों को आपस में जोड़ कर बनाया गया था। सीमेंट जैसे तत्वों का उपयोग नहीं किया गया था। मंदिर के चारों और देवी-देवताओं की सुन्दर प्रतिमाएं व कारीगरी की गई है। मंदिर के ऊपरी भाग में गुप्त कक्ष बनाया गया था, जिसे गुफा भी कहा जाता है। इसके द्वार को बंद करने के लिए भारी पत्थर का उपयोग होता था।

 

 

 

बताया जाता है कि तकरीबन 700 साल पुराने इस मंदिर को किसी धर्मात्मा या सज्जन ने नहीं, बल्कि डाकुओं ने बनवाया था। स्थानीय बड़े-बुजुर्गों के मुताबिक यहां एक कहानी प्रचलित है कि इस स्थान पर डाकुओं के एक दल को राजा की फौज ने घेर लिया था। मृत्यु को निकट देख उन्होंने मां को याद किया। मां ने अपने प्रताप से डाकुओं को भेड़-बकरी के झुंड में बदल दिया। इस प्रकार डाकुओं के प्राण बच गए। इसके बाद उन्होंने यहां इस मंदिर का निर्माण करवाया।

 

 

 

माता इतनी चमत्कारी है कि वह अपने प्रत्येक भक्त की मनोकामना पूर्ण करती है। इस का प्रत्यक्ष दर्शन किसी भी दिन किसी भी समय मंदिर में जाकर अनुभव कर सकते हैं। रुद्राणी को शराब चढ़ाने वालों की पंक्ति लगी रहती है। श्रद्धालु कहते हैं कि वे मां से कोई मन्नत मांगते हैं तो वे उसे जरूर पूरा करती हैं। मन्नत के अनुसार जब उन्हें मंदिरा चढ़ाई जाती है तो इसका भी एक नियम है। श्रद्धालु ने जितनी प्रसाद चढ़ाने की मन्नत मांगी है, माँ को उतने ही मूल्य का प्रसाद चढ़ाना होता है। न कम और न अधिक।

 

भवाल माता बैंगानी, झांबड, तोडरवाल (ओसवाल, जैन), राजपूत, गुर्जरगौड़ ब्राह्मण आदि समुदायों की कुलदेवी हैं। भवाल, जसनगर-रियांबङी मार्ग पर स्थित है। निकट का रेलवे स्टेशन मेड़ता रोड हैं। मेड़ता रोड से मेड़ता सिटी जाना होता है और मेड़ता सिटी से जैतारण जाने वाली बस के द्वारा बीच में आने वाले शहर जसनगर उतरना पड़ता है। जसनगर से ऑटो या बस के द्वारा आप भुवाल या भवाल माता मंदिर के लिए जा सकते है।

बिहार सरकार ने बीपीएससी के जरिये 1 लाख 22 हजार शिक्षकों की नियुक्ति, 50 हजार से भी कम मिली नौकरी

PATNA: बिहार सरकार ने बीपीएससी के जरिये 1 लाख 22 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की है. शिक्षक नियुक्ति का रिजल्ट आ चुका है. मुख्यमंत्री से लेकर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव लाखों नौकरी देने के दावे कर रहे हैं. लेकिन अब हकीकत सामने आ रही है. शिक्षक नियुक्ति में बिहार के 50 हजार से भी कम बेरोजगारों को नौकरी मिल पायेगी. सरकार ने बड़े शातिर तरीके से खेल कर दिया है.

 

सरकार का खेल समझिये

 

बिहार सरकार ने बीपीएससी के जरिये करीब 1 लाख70 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी. कुछ दिनों पहले इसका रिजल्ट घोषित कर दिया गया. बीपीएससी ने बताया कि कुल 1 लाख 22 हजार अभ्यर्थियों को टीचर नियुक्ति में पास किया गया है. उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा देकर शिक्षक की पक्की नौकरी दी जायेगी.

लेकिन असली खेल कुछ और है. बिहार में मौजूदा सरकार ने दावा किया था कि वह एक साल में 10 लाख बेरोजगारों को नौकरी देगी. इसमें शिक्षक नियुक्ति का सबसे बढ़ चढ़ कर नाम लिया जा रहा था. लेकिन शिक्षक नियुक्ति में बिहार के 50 बेरोजगारों को भी नौकरी नहीं मिल पायी है. सरकार या बीपीएससी ये नहीं बता रही है कि असल में कितने बेरोजगारों को शिक्षकों की नौकरी मिल रही है.

 

35 हजार से ज्यादा नियोजित शिक्षक

 

सरकारी सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक बीपीएससी की परीक्षा पास करने वालों में 35 हजार से ज्यादा वैसे अभ्यर्थी हैं जो पहले से नौकरी कर रहे हैं. सरकार ने नियोजित शिक्षक के तौर पर काम कर रहे लोगों को बीपीएससी की परीक्षा में शामिल होकर राज्यकर्मी का दर्जा हासिल करने को कहा था. कुल 1 लाख 22 हजार सफल अभ्यर्थियों में नियोजित शिक्षकों की संख्या 35 हजार से ज्यादा बतायी जा रही है.

 

एक ही अभ्यर्थी को दो-तीन बार पास बताया

 

सरकार ने तीन वर्गों में शिक्षक नियुक्ति का रिजल्ट घोषित किया है. प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक. ऐसे हजारों अभ्यर्थी हैं जिन्हें दो वर्गों में सफल घोषित कर दिया गया है. अगर किसी अभ्यर्थी को दो वर्गों में सफलता मिली है तो बीपीएससी ने उसे एक नहीं बल्कि दो सफल उम्मीदवार के तौर पर गिना है. जाहिर है सफल अभ्यर्थी किसी एक वर्ग में ही नौकरी करेगा. लेकिन बीपीएससी ने ऐसे एक ही अभ्यर्थी की गिनती दो या तीन अभ्यर्थी के तौर पर कर दी है.

 

 

बड़ी तादाद में दूसरे राज्यों के उम्मीदवार पास

 

बिहार की सत्ता में आने से पहले राजद के नेता तेजस्वी यादव बार-बार ये घोषणा कर रहे थे कि अगर वे सरकार में आये तो राज्य सरकार की नौकरी में बिहारी युवाओं को 90 परसेंट आरक्षण देंगे. बिहार सरकार ने जब शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की तो इसमें बिहार राज्य के निवासियों को ही आवेदन करने की इजाजत थी. बाद में नियमों में फेर बदल कर इसे देश भर के अभ्यर्थियों के लिए खोल दिया गया. सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि बिहार की शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में 10 हजार से ज्यादा दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी पास हुए हैं.

 

 

 

शिक्षक नियुक्ति में एक पेंच और है. बीपीएससी ने वैसे अभ्यर्थियों को भी बहाली में भाग लेने की इजाजत दी थी, जिन्होंने CTET की परीक्षा दी थी लेकिन उनका रिजल्ट नहीं आया था. ऐसे कई परीक्षार्थियों को सफल घोषित किया गया है. अगर वे CTET की परीक्षा नहीं पास कर पाते हैं तो उनकी बहाली नहीं हो पायेगी. जाहिर है नियुक्त होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या और कम होगी.

 

 

 

 

शिक्षक नियुक्ति में सरकार के इस खेल पर अब आवाज उठने लगी है. राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आज शिक्षक नियुक्ति को लेकर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि उनके बिहार में लाखों नौकरी के दावों की असलियत अब सामने आने लगी है. अगर लोग शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के आरोपों को समझेंगे तो लाखों नौकरी की सच्ची कहानी सामने आ जाएगी.

 

 

 

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि ज्यादातर पूर्व से नियोजित शिक्षकों को ही बीपीएससी भर्ती के माध्यम से नियुक्ति मिलनी है. ये संख्या कुल भर्ती का लगभग 25 प्रतिशत है. इसके अलावा ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या बहुत ज्यादा है जो प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक तीनों में या एक से ज्यादा वर्गों में सफल दिखाए गए हैं. वहीं, शिक्षक भर्ती में तमाम राज्यों की भांति बिहार सरकार ने भी डोमिसाइल नीति लागू करने की घोषणा की थी. लेकिन बाद में यू टर्न मार कर दूसरे राज्यों के खोल दिया था. ऐसे में शिक्षक नियुक्ति के नाम पर सरकार ने बिहार के युवाओं के साथ बड़ा धोखा किया है.

पूजा पंडाल में खड़ी आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका पर भड़के ललन सिंह

MUNGER: जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुंगेर सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह शारदीय नवरात्र के सातवें दिन मुंगेर पहुंचे। महासप्तमी के मौके पर मुंगेर के कल्याणपुर बड़ी दुर्गा के दरबार में उन्होंने मत्था टेका और प्रदेश की सुख-शांति और समृद्धि की कामना की। ललन सिंह के मुंगेर आने की खबर जैसे ही आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका को हुई वो अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन देने के लिए मंदिर में पहुंच गयी। इस दौरान अपने सांसद के इंतजार में वो घंटों खड़ी रही।

सुबह के 10 बजे से सभी महिलाएं ललन सिंह का इंतजार कर रही थी। जब ललन सिंह पूजा पंडाल में पहुंचे तब आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका भी उनसे मिलने पहुंच गई। जिन्हें देख ललन सिंह भड़क गये और उनकी जमकर फटकार लगा दी। ललन सिंह ने कहा कि जहां चाहती है वहीं खड़ी हो जाती है। अपने सांसद के लंबे इंतजार और मिली फटकार के बाद आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका निराश होकर अपने-अपने घर लौट गईं।

बरियारपुर की सचिव अर्चना ने बताया कि जब आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपने गये थे तो इसे लिया नहीं गया उल्टे डांटकर भगा दिया गया। कहा गया कि ज्ञापन देने के लिये यह जगह उचित नहीं है। सांसद महोदय ने हमारी बातें भी नहीं सुनी। हमलोग 60 के करीब सुबह दस बजे से ही खड़े थे उनसे मिलना चाहते थे। अधिकारी ने कहा कि आप नहीं मिल सकते यह कोई जगह है मिलने का।

जिसके बाद ललन सिंह की नजर जब इन पर गई तो हत्थे से उखड़ गये कहा कि जहां मन में आएगा वही खड़े हो जाएंगे क्या? इतना कहते हुए ललन सिंह आगे की ओर बढ़ गये और आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका बिना ज्ञापन दिये ही अपने-अपने घर की ओर रवाना हो गयी। सांसद ललन सिंह के इस व्यवहार से इनमें रोष व्याप्त है। इनका कहना था कि हम अपनी बात रखने आए थे लेकिन बात तो दूर ज्ञापन भी नहीं लिया गया।

बता दें कि मुंगेर के कल्याणपुर बड़ी दुर्गा स्थान में मत्था टेकने पहुंचे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुंगेर सांसद ललन सिंह ने कहा कि प्रदेश में सुख, शांति, समृद्धि और आपसी भाईचारा बना रहे वही आशीर्वाद माता रानी से मांगें है। इस दौरान डीआईजी, डीएम और एसपी सहित कई समर्थक उनके साथ थे। मंदिर पहुंचने के बाद उन्होंने सबसे पहले भव्य पंडाल का मुआयना किया और माता के दरबार में पूजा-अर्चना की।

सबसे पहले बिहार से शुरू हुआ था भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान:- मनोज सिन्हा

औरंगाबाद :- औरंगाबाद में शनिवार को बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की प्रतिमा के अनावरण जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया। इस मौके पर लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान, सांसद सुशील कुमार सिंह और बीजेपी सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल मौजूद रहे। इस दौरान उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने बिहार केसरी श्रीकृष्ण सिंह द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ किए गए कार्यों की सराहना करते हुए आज की सरकार को उनसे सीख लेने की नसीहत दी।

दरअसल, शनिवार को जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए औरंगाबाद पहुंचे थे। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कि बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने राज्य में देश का पहला भ्रष्टाचार मुक्ति अभियान चलाया था। केंद्र सरकार भी उन्हीं के रास्ते पर चलते हुए भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रखी है। बिहार विभूति अनुग्रह नारायण सिन्हा की धरती पर श्री बाबू की प्रतिमा का अनावरण करना सौभाग्य की बात है। श्री बाबू के जमाने में योजना आयोग के दृष्टिकोण में बिहार देश के टॉप-5 राज्यों में रहता था। अब किन्ही कारणों से बिहार इस मामले में पिछड़ गया है, जो विचारणीय विषय है।

उन्होंने कहा कि अगर श्री बाबू 10 साल और मुख्यमंत्री रह गए होते तो बिहार भी आज विकास के मामले में गुजरात और महाराष्ट्र के समकक्ष खड़ा होता। श्री बाबू के समय बिहार में सुशासन और गुड गर्वनेंस बेहतर स्थिति में था। इसी कारण श्री बाबू सुशासन और गुड गर्वनेंस की प्रतिमूर्ति माने जाते थे। उन्होने राजनीति में गंगोत्री बहाई थी, जिसमें भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान नहीं था। भ्रष्टाचार के वे कितने बड़े विरोधी थे, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि श्री बाबू ने ही अपने समय में राज्य में देश का पहला भ्रष्टाचार मुक्ति अभियान शुरू किया था।

इसी तरह के अभियान के तर्ज पर केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रखी हैं। श्री बाबू आधुनिक बिहार के निर्माता थे। उनके सुशासन के लिए उन्हें सदैव याद किया जाता रहेगा। गुटबंदी के बावजूद उनके लिए राष्ट्र निर्माण प्रथम था। वे यह मानते थे कि जन आकांक्षाओं की पूर्ति नौकरशाही के सहयोग के बिना संभव नही है। इसे उन्होंने अपने कार्यकाल में साबित कर दिखाया भी था। उन्होंने कार्यक्रम में अपने भाषण के पहले चिराग पासवान की बातों की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब फैसला लेने की बारी आए तो चिराग की बातों को जरूर याद करिएगा।

दाम पूछ फल नहीं लेना ग्राहक को पड़ा महंगा, दुकानदार ने मारा चाकू

BEGUSARAI : भारत के लोगों में यह एक आम आदत होती है कि वो कोई भी चीज़ खरीदने से पहले उसका दाम मालुम करते हैं और फिर अपने बजट से उसे गुना, भाग और जोड़ – घटाव कर यह तय करते हैं की यह वस्तु उसके बजट में हैं या नहीं या फिर उस उचित है भी या नहीं। लेकिन, अब एक बड़ा की अनोखा मामला बिहार के बेगूसराय से निकल कर सामने आ रहा है। जहां एक ग्राहक को फल का दाम मालूम खरीददारी न करना बेहद महंगा पड़ गया।

दरअसल, बेगूसराय में ग्राहक को फल खरीदना उसे वक्त महंगा पड़ गया जब फल व्यवसाय से सेव का रेट पूछने के बाद ग्राहक दुकान से जाने लगा तभी दुकानदार ने बुलाकर कहा दो चार अक्षर पढ़ लेता तो और ज्यादा होसियार समझते हो । इसी पर ग्राहक ने बोला इसमें होसियार की क्या बात है। हमें रेट पसंद नहीं आया तो हम नहीं लेंगे।

वहीं, इस वाकये के कुछ ही मिनट बाद दुकानदार के बेटा आया और ग्राहक से तू तू मैं करने लगा फिर चाकू से हमला कर दिया। जिससे ग्राहक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। यह घटना नगर थाना क्षेत्र के रेलवे स्टेशन के पास की बताई जा रही है। अब इस घटना को लेकर पुरे शहर में तरह – तरह की चर्चा शुरू कर दी गई है।

बताया जाता है कि, नावकोठी थाना क्षेत्र के नावकोठी निवासी दिलीप शर्मा 19 अक्टूबर की शाम लगभग 7:15 बजे बाजार आया था रेलवे स्टेशन के पास ठेला पर बेच रहे फल बालों से ग्राहक ने पूछा सेव कैसे रेट है तो दुकानदार ने कहा ₹180 का है इतना में ही ग्राहक ने कहा इतना मैं तो गांव में भी देता है। जब ग्राहक वहां से जाने लगा तो दुकानदार छोटू कुमार और पिता विकास तुर्रा द्वारा गाली गलौज करने लगा।

उधर, जब ग्राहक ने गाली गलौज का विरोध किया तो फल व्यवसाय दुकानदार ने ग्राहक दिलीप शर्मा के ऊपर चाकू से हमला कर दिया जिससे ग्राहक गंभीर रूप से घायल हो गया। चाकू ग्राहक के सिर में लगी है। गंभीर रूप से घायल युवक सदर अस्पताल में अपना इलाज करवाया है।जो ग्राहक के सिर में चार टांका लगा है। पीड़ित युवक ने लिखित शिकायत आवेदन देकर नगर थाने में प्राथमिक दर्ज के लिए दिया है। आखिर किस वजह से ग्राहक युवक के साथ मारपीट और चाकू से हमला किया गया है और क्या पूरा मामला है। पुलिस सभी बिंदुओं पर जांच कर रही है।

बिहार में उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं:- CM नीतीश कुमार

Patna :- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष 1 अणे मार्ग स्थित ‘नेक संवाद’ में उद्योग विभाग, सूचना प्रावैधिकी विभाग तथा पर्यटन विभाग ने अपने-अपने विभागों से संबंधित प्रस्तुति दी। बैठक में उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव संदीप पौंड्रिक ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बिहार लॉजिस्टिक पॉलिसी-2023 के प्रारूप के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस नीति में समाहित परियोजनाएं, प्रोत्साहन के लिए अनुदान आदि से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। सूचना प्रावैधिकी विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बिहार आईटी नीति- 2023 के प्रारुप के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। साथ ही पर्यटन विभाग के सचिव के रुप में भी अभय कुमार सिंह ने बिहार पर्यटन नीति- 2023 के प्रारूप के संबंध में भी विस्तृत जानकारी दी।

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। हमलोगों ने ऐसी पॉलिसी बनायी है कि यहां अधिक से अधिक निवेश हो सके। साथ ही यहां रोजगार के अवसर भी सृजित हों। हमलोगों का उद्देश्य है कि जो भी नीतियां बनायी जाए उससे निवेशकों को अधिक से अधिक प्रोत्साहन मिले और यहां उन्हें उद्योग-धंधे स्थापित करने में किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं हो। जो भी नीतियां बनायी गई हैं उसका अनुश्रवण और संचालन ठीक ढंग से करते रहें। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान भी हमलोगों ने बिहार के बाहर काम करनेवाले लोगों को यहां आकर अपना काम शुरु करने के लिए प्रोत्साहित किया। कई लोगों ने बिहार आकर अपना स्वरोजगार स्थापित किया। कई जगहों पर जाकर उन कार्यों को हमने देखा है। लोगों के हित में हमलोग लगातार काम कर रहे हैं। बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ, उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव संदीप पौंड्रिक, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, सूचना प्रावैधिकी तथा पर्यटन विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह एवं उद्योग विभाग के निदेशक पंकज दीक्षित उपस्थित थे।