भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा से पहले राममय हुई अयोध्या, रामभक्तों में जश्न का माहौल

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रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में कुछ ही घंठे बचे हैं। इससे पहले पूरी अयोध्या राममय हो चुकी है। पूरे देश में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर रामभक्तों में जश्न का माहौल है। इसके साथ ही भगवान राम के स्वागत के लिए 2500 लोक कलाकार अयोध्या में 100 मंचों पर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। सीएम योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग ने राम मंदिर के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य स्वागत करने की भी पूरी तैयारी कर ली है। राम मंदिर को फूलों से सजाया गया है। मंदिर की भव्यता देखकर आपकी आंखें खुली की खुली रह जाएंगी।

अयोध्या में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पूरे उत्तर प्रदेश की झलक दिखेगी। सुरक्षा की बात करें तो पूरी अयोध्या अभेद्य किले में तब्दील हो गई है। सुरक्षा के मद्देनजर लोगों के घरों व अन्य इमारतों पर मौजूद पुलिसकर्मी अयोध्या के चप्पे-चप्पे पर कड़ी नजर रख रहे हैं।

अयोध्या में यात्रा धाम के द्वारा राम मंदिर का एक बोर्ड लगाया गया है, इस बोर्ड में लोग राम मंदिर के लिए स्टिक पेपर पर अपनी भावनाएं लिख रहे हैं। संस्था के मुताबिक, ये सभी स्टिक पेपर्स 22 जनवरी के बाद मंदिर को सौंपे जाएंगे। इन पेपर्स पर लिखी भावनाएं भगवान रामलला तक पहुंच जाएं।

राम मंदिर की संरचना

अयोध्या में राम मंदिर परिसर के भूतल पर पांच संरचनाएं और गर्भगृह हैं, जहां कल इसके भव्य उद्घाटन के लिए ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह आयोजित किया जाएगा। श्री राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि 2.7 एकड़ में फैले मंदिर क्षेत्र में भक्त मुख्य मूर्ति तक कैसे पहुंचेंगे।

उनके मुताबिक भक्त सबसे पहले एक बाहरी दीवार को पार करेंगे जो मुख्य संरचनाओं को घेरे हुए है।  मिश्रा ने कहा, 795 मीटर के ‘परकोटा’ के अंदर पांच मंदिर और गर्व गृह (गर्भगृह) होंगे, जिसमें मुख्य मूर्ति होगी और भक्तों को परिक्रमा करने की अनुमति होगी।

गर्भ गृह के ठीक सामने, मंदिर में पांच मंडप हैं और गर्भ गृह से पहली सीढ़ी तक मंदिर की कुल लंबाई लगभग 400 फीट है।

श्री मिश्रा ने पहले दावा किया था कि मंदिर को एक हजार साल से अधिक समय तक चलने के लिए डिजाइन किया गया था। इसके निर्माण में किसी भी लोहे या स्टील का उपयोग नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि मंदिर की नींव में इलेक्ट्रॉनिक सेंसर लगाए गए हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि भूकंप के कारण इसके पत्थरों पर कोई प्रभाव पड़ता है या नहीं।

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