बीएड प्राइमरी शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की SLP, जानें क्या है बिहार शिक्षक नियुक्ति का मामला
बिहार में बीएड पास किए हुए 22 हजार से ज्यादा नियोजित शिक्षकों को पटना उच्च न्यायालय ने प्राइमरी कक्षा 1 से 5 वीं तक के पास शिक्षकों को अयोग्य बताया है, इनकी नियुक्ति छठे चरण के तहत हुई थी, कोर्ट ने ये भी कहा है कि सिर्फ डीएलएड डिग्री धारक उम्मीदवार ही इस भर्ती के लिए योग्य माने जाएंगे. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने ये फैसला सुनाया था।
अब बीएड प्राइमरी शिक्षकों की ओर से अररिया की रहने वाली अर्चना कुमारी ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर कर दिया है. इसमें बिहार सरकार शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव NCTE और केंद्र सरकार को भी पार्टी बनाया गया है. इसको लेकर शिक्षक संघ के नेता अमित विक्रम ने कहा कि बिहार सरकार भी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही थी, लेकिन इस बीच कुछ शिक्षकों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दिया है. ऐसे में अब शिक्षक संघ की ओर से भी इस मामले में अंतरवर्ती आवेदन दायर किया जाएगा. बीएड प्राइमरी शिक्षकों की नौकरी बचाने के लिए हर जरूरी कदम हम उठाएंगे।
पटना हाई कोर्ट की तरफ से जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस राजीव राय की खंडपीठ ने बीएड पास शिक्षकों की योग्यता को लेकर फैसला सुनाया गया था. कहा गया था कि हम संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से बंधे हैं. राज्य को भी इस निर्णय का पालन करना होगा. सर्वोच्च न्यायालय की तीन जजों की बेंच कक्षा 1 से 5 तक की शिक्षक नियुक्ति के संबंध में स्पष्ट फैसला दे चुकी है. ऐसे में बीएड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के बतौर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है।
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