बिहार में धार्मिक जुलूस में लाठी-डंडा या हथियार ले जाने पर रोक लगा दी गई है। हाल में धार्मिक जुलूस व शोभा यात्राओं में तेज आवाज में धार्मिक नारेबाजी, डीजे बजाने एवं परंपरागत हथियारों के प्रदर्शन को लेकर सांप्रदायिक तनाव की कुछ घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने सख्ती बरती है। इस बाबत विस्तृत निर्देश जारी किया गया है।
गृह विभाग (विशेष शाखा) की विशेष सचिव के सुहिता अनुपम ने सभी डीएम, एसएसपी, एसपी को निर्देश जारी किया है कि दस या पंद्रह लोगों के शपथ पत्र देने के बाद ही धार्मिक जुलूस की इजाजत दी जाए। जुलूस या शोभायात्रा के लाइसेंस में उत्तेजक, भड़काऊ गाना, नारेबाजी, तथा प्रतिबंधित हथियारों का प्रदर्शन नहीं किए जाने की शर्त भी शामिल होगी।
विशेष सचिव ने कहा है कि खास परिस्थिति जैसे सिख समुदाय द्वारा कृपाण धारण को छोड़ किसी भी जुलूस या शोभायात्रा में हथियार ले जाना या प्रदर्शन करना आर्म्स एक्ट के तहत प्रतिबंधित है। यदि तलवार आदि ले जाना जरूरी हो तो उसके लिए अलग से अनुमति लेनी होगी।
धार्मिक जुलूसों की स्वीकृति एवं लाइसेंस में यह शर्त शामिल होगा कि उसमें माइक्रोफोन, पब्लिक एड्रेस सिस्टम या अन्य ध्वनि विस्तारक के शोर का स्तर उस क्षेत्र के लिए निर्धारित मानक स्तर से अधिक नहीं होगा। सिर्फ जुलूस के नियंत्रण के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग होगा। मजिस्ट्रेट या पुलिस पदाधिकारी को धार्मिक जुलूस को लाइसेंस दिए जाने को लेकर निर्धारित शर्तों की जांच कर सुनिश्चित करनी होगी।