बेंगलुरु के IIA संस्थान ने खोज निकाला नया तारा, मिले हैरान करने वाले सबूत

GridArt 20230816 130834809

बेंगलुरु स्थित भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (IIA) के वैज्ञानिकों ने एक नए तारे की खोज की है। इस तारे को वैज्ञानिकों ने HE 1005-1439 नाम दिया है। IIA संस्थान के वैज्ञानिकों ने खोजे गए इस नए तारे को कार्बन-इन्हांस्ड-मेटल-पुअर (CEMP) के रूप में वर्गीकृत किया है।

वैज्ञानिक अचंभित 

इस नए तारे की निर्माण प्रक्रिया ने वैज्ञानिकों की पिछली समझ को अचंभित कर दिया है। तारा अलग-अलग खगोल भौतिकी वातावरणों में होने वाली दो अलग-अलग प्रक्रियाओं के संयोजन के माध्यम से बनने के संकेत दिखा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस तारे का निर्माण 2 अलग-अलग न्यूट्रॉन कैप्चर प्रक्रिया द स्लो (एस-) और इंटरमीडिएट (आई-) के संयोजन से हुआ है।

शोध में कई खुलासे

IIA में पार्थ प्रतिम गोस्वामी और प्रोफेसर अरुणा गोस्वामी की ओर से किए गए शोध में कई खुलासे हुए हैं। तारे की सतह की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने के लिए सुबारू टेलीस्कोप से जुड़े उच्च फैलाव वाले स्पेक्ट्रोग्राफ (HDS) का उपयोग करके प्राप्त हुए उच्च-रिजॉल्यूशन स्पेक्ट्रोस्कोपिक डेटा का उपयोग किया गया है। टीम ने पाया कि तारे की लौह सामग्री सूर्य की तुलना में हजारों गुना कम है और यह न्यूट्रॉन-कैप्चर तत्वों से भरी हुई है।

पहले कभी ऐसा नहीं दिखा

IIA के पार्थ प्रतिम गोस्वामी ने बताया कि हमें पहली बार सतह पर रासायनिक संरचना वाली एक वस्तु मिली जिसमें धीमी और मध्यवर्ती (i) न्यूट्रॉन-कैप्चर न्यूक्लियोसिंथेसिस दोनों उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि ऐसा मामला पहले कभी भी किसी CEMP सितारों में नहीं देखा गया है। उन्होंने बताया कि तारे की सतह की रासायनिक संरचना एस- और आई- प्रक्रिया दोनों के समान योगदान से प्रभावित हो रही है। जो कि काफी आश्चर्यजनक बात है।

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.