बांका अव्वल और पटना 34वें स्थान पर, इस विभाग की रैंकिंग में अररिया सबसे फिसड्डी साबित
राजस्व भूमि सुधार विभाग ने राजस्व से संबंधित कार्यों की बेहतर समीक्षा प्रगति की देखने के लिए जिला पदाधिकारी सह समाहर्त्ता की रैंकिंग किया है. सितंबर माह की यह रैंकिंग विभाग द्वारा पहली बार जारी की गई है. सभी डीएम के कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन में इस रैंकिंग को जोड़ा जाना प्रस्तावित है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की पहल: विभाग को इससे उम्मीद है कि सभी डीएम राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से संबंधित कार्यों में अधिक अभिरुचि लेंगे और तीव्र निष्पादन सुनिश्चित करेंगे. विभाग के सचिव विजय कुमार सिंह ने कहा कि डीएम के राजस्व विभाग से संबंधित कार्यो की यह रैंकिंग हर महीने जारी होगी. सितंबर महीने में जारी की गई रैंकिंग के अनुसार राजस्व संबंधित कार्यों के निष्पादन को लेकर बांका जिले को पहला पहला स्थान मिला है, जबकि पटना जिला 34वें स्थान पर है.
सभी 38 जिलों की रैंकिंग जारी: सितंबर महीने में डीएम के द्वारा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से संबंधित विभिन्न कामों के आधार पर सभी 38 जिला की रैंकिंग की गई है, जिसमें बांका जिले को पहला स्थान मिला है. शेखपुरा को दूसरा, सिवान को तीसरा, औरंगाबाद को चौथा, नालंदा को पांचवां, कैमूर को छटा, जहानाबाद को सातवां, बेगूसराय को आठवां और भोजपुरी को 9वां, पूर्णिया को दसवां और अंतिम स्थान पर अररिया है.
बांका टॉप और अररिया सबसे फिसड्डी: पटना, नवादा , पश्चिम चंपारण, सहरसा और अररिया पांच सबसे अंतिम पायदान पर जिले हैं. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जिले की रैंकिंग डीएम के सुपरविजन ऑफ म्यूटेशन, सुपरविजन ऑफ परिमार्जन प्लस, अभियान बसेरा दो, आधार सीडिंग स्टेटस, एडीएम कोर्ट, डीसीएलआर कोर्ट, डीएम कोर्ट के आधार पर की है.
किस जिले को कितने अंक मिले?: रैंकिंग में टॉप जिलों को 100 अंक में सबसे अधिक बांका को 56.80 अंक मिला है. शेखपुरा को 51.33, सिवान को 42.68, सुपौल को 41.44, औरंगाबाद को 39.62, नालंदा को 38.35, कैमूर को 37. 65, जहानाबाद को 37.39, बेगूसराय को 35.53, भोजपुरी को 34.92, पूर्णिया को 34.40, बक्सर को 34.29 अंक मिले हैं. रैंकिंग में पटना 26.92, नवादा 26.61, पश्चिमी चंपारण 26.03, सहरसा 25.11 और अररिया 20.09 अंक के साथ फिसड्डी जिले साबित हुए हैं.
जमीन संबंधित विवाद के समाधान को लेकर पहल: बिहार में सरकार की ओर से जमीन सर्वे का काम इन दिनों चल रहा है. लोग कई तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं. बिहार में जमीन विवाद के कारण ही सबसे अधिक हत्याएं होती है. सरकार की ओर से इसलिए जमीन विवाद को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की तरफ से उसी के तहत यह पहल है और इससे सभी जिलाधिकारी पर दबाव पड़ेगा कि जमीन से जुड़े हुए मामले को गंभीरता से लें.
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