भागलपुर : आज से 99 साल पहले यानी 2 अक्टूबर 1925 को महात्मा गांधी ने अपना 56वां जन्मदिन भागलपुर में सादगी के साथ मनाया था। भागलपुर की तीसरी यात्रा के दौरान बापू 01 अक्टूबर 1925 को भागलपुर आए थे और शिव भवन में रायबहादुर कमलेश्वरी सहाय के अतिथि थे। उन दिनों गांधी जी विदेशी समानों के बहिष्कार, महिलाओं में जागृति और खादी के प्रचार के सिलसिले में दौरा कर रहे थे। शिव भवन में महिलाओं की एक सभा की गयी थी। जिसमें लगभग 400 महिलाओं ने भाग लिया था। उनमें काफी महिलाएं घूंघट में थीं, जिसे देखकर गांधी जी काफी दुखी हुए। यह आयोजन शिव भवन के प्रांगण में सम्पन्न हुआ था। सभा में शिव भवन की महिलाओं ने गांधी जी को खादी सूत की माला भेंट की। गांधी जी ने उस सभा में उपस्थित महिलाओं से पर्दा का त्याग करने और लड़कियों को जरूर पढ़ाने की अपील की थी। उन्होंने विदेशी वस्त्रत्त् को त्याग कर खादी वस्त्र पहनने का भी आग्रह किया। उनके भाषण का तुरंत प्रभाव यह हुआ कि कई महिलाओं ने पर्दा का त्याग स्थल पर ही कर दिया और कइयों ने खादी पहनने की शपथ भी ली। सबसे महत्वपूर्ण घटना यह हुई कि गांधी जी के विदेशी वस्त्रत्त् के त्याग की अपील पर शिव भवन के प्रांगण में विदेशी वस्त्रों की होली जलायी गयी।
बापू की अंतिम यात्रा 1934 भूकंप के बाद बिहपुर सभा में रही
गांधी जी की चौथी व अंतिम यात्रा 1934 में आये भूकंप के बाद बिहपुर आगमन रही। उत्तरी बिहार का दौरा समाप्त कर सहरसा होते हुए 02 अप्रैल, 1934 को बिहपुर पहुंचे। बिहपुर के स्वराज्य आश्रम में एकत्र लोगों को संबोधित करते हुए भूकंप पीड़ितों की मदद करने की अपील की। हरिजन कल्याण कोष में मुक्त हस्त दान देने का आग्रह किया था।
दूसरी बार ट्रेन से आए, वापसी में घोरघट की लाठी मिली थी भेंट
दूसरी बार गांधी जी 12 दिसंबर, 1920 में भागलपुर आये। इस बार बड़े कांग्रेसी नेता दीपनारायण सिंह के मेहमान बने। उनके साथ कांग्रेस के बड़े नेता शौकत अली भी आये थे। उन्होंने अपनी यह यात्रा थर्ड क्लास डिब्बे में अन्य यात्रियों के साथ की थी। 13 दिसंबर 1920 की सुबह टिल्हा कोठी से बड़ी आमसभा को संबोधित किया। उन्होंने ब्रिटिश शासन की तुलना शैतान के शासन से की थी। वे सड़क मार्ग से बांका गये। भीड़ से निकलने के क्रम में उनके पैर का एक अंगूठा चोटिल भी हो गया था। यहां से मुंगेर जाने के क्रम में महात्मा गांधी को घोरघट गांव में बनी एक लाठी भेंट की गई। गांधी जी इस लाठी को हमेशा अपने साथ रखते रहे।
चार बार आए थे भागलपुर, वर्ष 1935 में आखिरी बार आए थे
गांधी जी चार बार भागलपुर आये थे। पहली यात्रा 15 अक्टूबर 1917 को हुई थी। वे छात्रा आंदोलन की अध्यक्षता करने अपनी काठियाबाड़ी वेशभूषा में भागलपुर आये थे। दीपनारायण सिंह की उस जमीन (वर्तमान का लाजपत पार्क) पर गांधी जी ने हिन्दी में न सिर्फ भाषण दिया बल्कि इसे राष्ट्रीय भाषा बनाने की युवाओें से अपील भी की। नगरपालिका को दान में दी गई जमीन का नामांकरण दीपनारायण सिंह ने गांधी जी से लाला लाजपत राय के नाम पर करने का अनुरोध किया। जिसके बाद मंच से ही बापू ने पार्क का नामांकरण लाजपत पार्क कर दिया।