पटना स्थित बापू टावर संग्रहालय, जो महात्मा गांधी के जीवन और उनके मूल्यों पर आधारित है, अब आम दर्शकों के लिए खुल चुका है। पहले यह संग्रहालय केवल समूहों के लिए निःशुल्क भ्रमण की सुविधा प्रदान करता था, जिसके तहत अब तक करीब 50 सरकारी और निजी विद्यालयों के छात्रों सहित 14,000 से अधिक लोग भ्रमण कर चुके हैं। बापू टावर को आम दर्शकों के लिए खोलने के मौके पर भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि ने बॉलीवुड अभिनेता राजीव वर्मा को अपने हाथों से पहला टिकट प्रदान किया।
इस संग्रहालय में प्रवेश शुल्क निर्धारित किया गया है। 12 वर्ष और उससे ऊपर के दर्शकों के लिए टिकट दर 50 रुपये और 5 से 12 वर्ष के बच्चों के लिए 10 रुपये रखी गई है। सरकारी और निजी विद्यालयों के विद्यार्थियों, दिव्यांग व्यक्तियों, 70 वर्ष से ऊपर के वृद्धजन तथा 25 से अधिक व्यक्तियों के समूह के लिए निःशुल्क भ्रमण की व्यवस्था की गई है।
संग्रहालय का बुकिंग काउंटर मंगलवार से रविवार तक सुबह 10:30 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहेगा, जबकि सोमवार को यह बंद रहेगा। दर्शकों के लिए स्लॉट में टिकट बुकिंग की सुविधा दी गई है, और प्रतिदिन 5 स्लॉट में टिकटों की बुकिंग की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, वृद्ध और दिव्यांग जनों के लिए व्हील-चेयर और बुनियादी सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है।
बिहार भ्रमण पर आये 18 प्रशिक्षु आई.ए.एस. अधिकारियों ने बापू टावर संग्रहालय का दौरा किया
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी से 2024 बैच के प्रशिक्षु भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस.) अधिकारियों का एक दल भारत भ्रमण कार्यक्रम के तहत बापू टावर संग्रहालय का दौरा करने पहुंचा। इस दल में झारखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे विभिन्न राज्यों के आई.ए.एस. अधिकारी शामिल थे। इन अधिकारियों ने संग्रहालय की विभिन्न दीर्घाओं को देखा और महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित योजनाओं और कार्यक्रमों को सराहा, खासकर चम्पारण दीर्घा।
इस अवसर पर भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि ने प्रशिक्षु अधिकारियों के ग्रुप-लीडर दिप्ती रोहेला को बापू टावर का मोमेंटो भेंट किया। साथ ही, अन्य प्रशिक्षु अधिकारियों को भी अंगवस्त्र, महात्मा गांधी की आत्मकथा “सत्य के साथ मेरे प्रयोग” और “नील के धब्बे” जैसी पुस्तकें और स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। प्रशिक्षु अधिकारियों ने बापू टावर के सभी दीर्घाओं का दौरा करने के बाद इसे एक अद्वितीय और अविस्मरणीय कृति बताया और बिहार सरकार को इसे मूर्त रूप देने के लिए सराहा।
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