मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के अंतिम छोर पर छत्तीसगढ़ की सीमा पर एक, ऐसा गांव है जो मानव और भालू जैसे खतरनाक जंगली प्राणी के बीच अटूट प्रेम की कहानी का गवाह बना हुआ है। इस कहानी को सुनकर प्रत्यक्ष रूप से देखने आसपास ही नहीं, बल्कि दूसरे जिलों से भी लोग आ रहे हैं । भालू के मानव प्रेम का यह क्रम पिछले कई वर्षो से चल रहा है, जिसकी चर्चा दो-तीन साल से खूब हो रही है। जिले के अंतिम छोर पर छत्तीसगढ़ के जनकपुर के पास ग्राम खड़ाखोह के जंगल में राजमाडा के पास पहाड़ी पर एक आश्रम है।
जिसे रामवन आश्रम के नाम से जाना जाता है और इस आश्रम में बाबा रामदास रहते हैं । बाबा रामदास के साथ जंगल में रहने वाले भालुओं का ऐसा प्रेम है कि वह हर दिन बाबा के आश्रम में पहुंचते है और जब तक बाबा उन्हें कुछ खिला नहीं देते, भालू वहीं चहल कदमी करते रहते हैं। इनकी संख्या तीन बताई जा रही है।
बाबा के मुताबिक यह भालू उनको व उनके परिवार को ही नहीं बल्कि यहां आने वाले किसी भी व्यक्ति को कभी भी कोई नुकसान नहीं पहुचाया है । सबसे आश्चर्य करने वाली बात तो यह है जंगली प्राणी होते हुए भी भालू बाबा रामदास की बोली को बखूबी समझ लेते है। जैसे ही बाबा इन्हें आवाज देकर बुलाते है, यह जहां कही भी आसपास होते हैं उनकी एक आवाज पर दौड़े चले आते हैं ।
सात वर्ष से है बाबा से प्रेम –
जिन जंगली भालुओं का नाम सुनकर इंसान कांप जाता है व उससे दूर भगाने लगता है। वही भालू बाबा रामदास की एक आवाज पर दौड़े चले आते हैं ।बाबा और भालुओं के बीच ऐसा अगाढ़ प्रेम है, कि जब तक बाबा पूजा-पाठ करते हैं, तब तक भालू उनके पास ही बैठे रहते हैं । प्रसाद खाने के बाद ही वहां से जाते हैं।
बाबा रामदास कहते हैं कि वे इस जंगल में कुटिया बनाकर पिछले सात साल से रह रहे हैं । धीरे-धीरे यहां रहने वाले भालुओं से उनकी जुगलबंदी होती गई। बाबा को इन भालुओं पर जितना भरोसा है, इन जंगली भालुओं को भी उतना ही भरोसा बाबा पर है। बाबा रामदास कहते हैं कि भालू बड़े उम्मीद के साथ आते हैं और उनके पास जो भी प्रसाद रहता है वे भालुओं को खिला देंते हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां इंसानी रिश्ते कमजोर पड़ते जा रहे हैं तो वहीं दूर जगलों में बाबा और भालूओं की बीच का ये रिश्ता मनुष्य के लिए सीख है ।