बेतिया। जिला पदाधिकारी दिनेश कुमार राय ने सोमवार को जिला सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उप विकास आयुक्त प्रतिभा रानी, अनुमंडल पदाधिकारी ड. विनोद कुमार, ओएसडी सुजीत कुमार भी मौजूद रहे। इस दौरान जिलाधिकारी ने जनसंपर्क कार्यालय में विगत चार वर्षो का आवंटन पंजी, कैस बुक, स्वीकृत्यादेश समेत विभिन्न अभिलेखों का अवलोकन किया। अवलोकन के दौरान हीं जिला वरीय कोषागार पदाधिकारी संतोष कुमार को भी तलब करते हुए कार्यालय में बुलाया गया। और उनसे भुगतान के संबंध में नियमावली एवं सत्यापन कराया गया। जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय ने बताया कि लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनजर सोमवार को कार्यालय के अभिलेखों का जांच किया गया। उन्होंने बताया कि कार्यालय में करीब डेढ़ करोड़ के वितीय अनियमितता का मामला प्रथम दृष्टया सामने आया है। इससे भी ज्यादा अनियमितता होने की संभावना है। इसलिए आधा दर्जन से ज्यादा अभिलेखों एवं संचिकाओं को जब्त किया गया है। उसकी जांच करायी जा रही है। सभी जांच रिर्पोट आने के बाद किस स्तर पर वितीय अनियमितता की गयी है उसका समेकित विवरणी तैयार करते हुए संबंधित के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी। डीएम ने बताया कि कई ऐसे मामले आये है कि बिना सक्षम पदाधिकारी के स्वीकृत्यादेश के भारी भरकम राशि का भुगतान किया गया है। इतना हीं नहीं कई ऐसे मामले भी सामने आये है कि पूर्व के जिलाधिकारियों के आदेश का उल्लंघन करते हुए कई भुगतानों को लंबित भी रखा गया है। ऐसे भी मामले आये है जिला जनसंपर्क कार्यालय में वाहन का संचालन हुआ है लेकिन अभी भी संबंधित वास्तविक वाहन स्वामी को भुगतान नहीं किया गया है लेकिन संचिका में भुगतान दर्शाया गया है। वहीं राज्य के जनसंपर्क निदेशालय की ओर से प्रचार प्रसार के लिए आवंटित राशि से विलासिता संबंधी यथा एयरकंडीशन, बैट्री, इंभर्टर आदि सामग्री की खरीदारी कर ली गयी है। जांच में यह भी सामने आया है कि कई ऐसे भुगतान किये गये है जिनका कोई औचित्य हीं नही है।
कई आपूर्तिकर्ता भी आ सकते है लपेटे में
जनसंपर्क कार्यालय में हुयी वितीय अनियमितता में कई आपूर्ति कर्ता भी लपेटे में आ सकते है। जांच में यह भी बात सामने आयी है कि ओवरराईटिंग कर संचिका में हेराफेरी की गयी है। वहीं कई ऐसे आपूर्तिकर्ताओं के विपत्र भी अभिलेखों में आये गये है जिनका कारोबार किसी अन्य ट्रेड में है लेकिन विपत्र पोस्टर बैनर आपूर्ति का लगाया गया है। वहीं कई ऐसे पोस्टर बैनरों के आपूर्तिकर्ताओं को लगातार लाखों रुपया का भुगतान बिना सक्षम पदाधिकारी के सत्यापन के हीं कर दिया गया है।आपूर्तिकर्ताओं की भुगतान की तिथि के बाद का फोटोग्राफ लगाया गया भी पाया गया है।