भागलपुर। शाहकुंड के पूर्व नाजिर नंद किशोर मालवीय (अब सेवानिवृत्त) को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने मालवीय की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। जस्टिस आरके वर्मा ने मालवीय को सीबीआई कोर्ट में सरेंडर करने और तुरंत बेल लेने को कहा है।
पूर्व नाजिर को 25 हजार रुपये के दो बांड जमा करने, सीबीआई कोर्ट से निर्धारित तारीख पर स्वयं उपस्थित रहने या जैसा कोर्ट कहे, का पालन करने को कहा है। लगातार दो तारीख पर अनुपस्थिति रहने पर जमानत रद्द कर दी जाएगी। कोर्ट ने कहा, यदि पूर्व नाजिर सबूतों के साथ छेड़छाड़ में पकड़े जाते हैं या कोई आपराधिक घटना में संलिप्त पाए जाते हैं तो उनकी जमानत रद्द हो जाएगी। मालवीय लाजपत पार्क के समीप के रहने वाले हैं।
केपी रमैया को मिली जमानत को बनाया आधार
पूर्व नाजिर के वकील ने कहा, एफआईआर के पांच साल बाद चार्जशीट में आरोपित का नाम डाला गया है। सुप्रीम कोर्ट से भागलपुर के पूर्व डीएम केपी रमैया को मिली अग्रिम जमानत का हवाला देकर मालवीय की भी जमानत मांगी। उन्होंने महदूम बाबा बनाम सीबीआई केस में सुप्रीम कोर्ट के उस रेफरेंस का जिक्र किया। जिसमें कहा गया है कि जिस मुकदमे में आरोपित की उपस्थिति जांच के दौरान जरूरी नहीं है। उसमें आरोपित की गिरफ्तारी नहीं होगी। हालांकि सीबीआई ने जमानत का विरोध किया और कहा कि सीबीआई ने 4 लाख के मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट में नाजिर को आरोपित किया है। आरोपित ने दो-दो लाख रुपये के दो चेक सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड (एसएमवीएसएसएल) के खाते से भुनाया है। ये चेक पत्नी सरोज देवी और बेटी पिंकी तिवारी के नाम से थे।
सीएफएसएल की रिपोर्ट नहीं मिलने पर मिली जमानत
भागलपुर। पटना हाईकोर्ट ने सृजन घोटाले के आरोपी भीखनपुर निवासी वंशीधर झा को एक मामले में अग्रिम जमानत दी है। वंशीधर के खिलाफ सीबीआई ने 11 चार्जशीट में आरोपित बनाया है। वंशीधर झा ने 9 मामले में जमानत ले ली है। वे सृजन घोटाला से जुड़े कई मामले में जेल में बंद थे। फिलहाल बाहर हैं। एक मामले में उनकी गिरफ्तारी पर शर्त के साथ रोक लगाई गई है। कोर्ट ने 25-25 हजार के दो बांड जमा करने को कहा है। साथ ही तारीख पर मौजूद रहने और कोर्ट के आदेश का सम्मान करने को कहा है। वंशीधर के खिलाफ सीबीआई ने सृजन मामले में दर्ज पहली एफआईआर के पांच साल बाद पूरक चार्जशीट में आरोपित किया है। वंशीधर के वकील ने कहा कि कंप्यूटर पर जाली पासबुक तैयार करने का आरोप है। जिसकी जांच रिपोर्ट (सीएफएसएल) लंबित है। ऐसे में जमानत मिलनी चाहिए।