भागलपुर:परिवार नियोजन के प्रयासों में भागलपुर जिले का प्रदर्शन दोहरी तस्वीर पेश कर रहा है। जहां एक ओर जिले ने पूरे बिहार में सर्वाधिक कंडोम वितरण कर पहला स्थान हासिल किया है, वहीं दूसरी ओर महिला बंध्याकरण और पुरुष नसबंदी जैसे स्थायी उपायों में जिले की स्थिति काफी निराशाजनक रही।
206% लक्ष्य से अधिक कंडोम वितरण:
राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा 17 से 29 मार्च तक चलाए गए परिवार नियोजन पखवाड़े के दौरान भागलपुर जिले में निर्धारित लक्ष्य 1,21,750 के मुकाबले 2,50,893 कंडोम का वितरण हुआ। यह लक्ष्य से 206% अधिक है, जिससे भागलपुर पूरे राज्य में प्रथम स्थान पर रहा।
इसके बाद मुंगेर (151%), पूर्वी चंपारण (147%), लखीसराय (116%) और जहानाबाद (114%) का स्थान रहा।
बंध्याकरण और नसबंदी में फिसड्डी:
हालांकि जब बात स्थायी गर्भनिरोधक उपायों की आती है, तो भागलपुर की स्थिति चिंताजनक है।
- महिला बंध्याकरण: निर्धारित लक्ष्य 2010 के मुकाबले केवल 1258 महिलाओं का ही ऑपरेशन हो सका, जो कि महज 41% है। इसके साथ भागलपुर बिहार में 15वें स्थान पर रहा।
- पुरुष नसबंदी: लक्ष्य 100 पुरुषों का था, लेकिन केवल 1 व्यक्ति की ही नसबंदी हो पाई। इस आधार पर भागलपुर 30वें स्थान पर फिसल गया।
राज्यस्तरीय आंकड़े:
बिहार में महिला बंध्याकरण के लिए तय 67,260 के लक्ष्य के मुकाबले 28,048 महिलाओं की नसबंदी हो सकी।
वहीं पुरुष नसबंदी में शेखपुरा (68%), वैशाली (45%), अरवल (34%), बांका (33%) और नवादा (29%) जैसे जिले अग्रणी रहे।
समीक्षा होगी प्रदर्शन की:
जिले की इस दोहरी स्थिति पर सिविल सर्जन डॉ. अशोक प्रसाद ने कहा, “परिवार नियोजन पखवाड़े में जिले का प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा। इसकी गहन समीक्षा की जाएगी। प्रत्येक प्रखंड के प्रदर्शन की जांच कर पिछड़ेपन के कारणों को समझा जाएगा।”
निष्कर्ष:
कंडोम वितरण में मिली सफलता जहां जनजागरूकता और अस्थायी उपायों की लोकप्रियता को दर्शाती है, वहीं स्थायी उपायों के प्रति झिझक और सामाजिक मानसिकता अब भी चुनौती बनी हुई है। जनसंख्या नियंत्रण के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सभी उपायों में संतुलन जरूरी है।