पटना के बाद भागलपुर दूसरे सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है। प्रदूषण के मामले में भागलपुर ने देश की राजधानी दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया है। दीवाली के बाद कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। स्टेशन के आसपास एक्यूआइ चार सौ के पार है।
सोमवार को वहां एक्यूआइ 436 था, वहीं मंगलवार को यह बढ़कर 446 तक पहुंच गया। दो से चार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा चलने के कारण दूसरे इलाके भी प्रदूषित हुए हैं। स्टेशन के आसपास का इलाका और भी प्रदूषित हो सकता है।
मंगलवार देर रात से विसर्जन शोभायात्रा में बड़ी संख्या में वाहनों व लोगों के पहुंचने के कारण एक्यूआइ साढ़े चार सौ के पार पहुंच गा। हालांकि शहर का एक्यूआइ 280 है, लेकिन बरारी क्षेत्र में सोमवार को एक्यूआइ 236 था, जो मंगलवार को बढ़कर 270 तक पहुंच गया। दीपावली के पहले शहर की एक्यूआइ 196 थी।
कचहरी चौक के पास मंगलवार को एक्यूआइ 280, पीएम 2.5 हवा में 230 और पीएम10 हवा में 317 था। मरियम नगर में एक्यूआइ 302, पीएम 2.5 252 व पीएम10 327 था। मायागंज में एक्यूआइ 293, पीएम2.5 211 व पीएम10 419 था। तुलसीनगर में एक्यूआइ 246, पीएम2.5 196 व पीएम 10 287 था।
शहर में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई के लिए मोबाइल फोन नंबर जारी किया गया है। जारी नंबर पर आम लोगों से सूचना भेजने का अनुरोध किया है।
प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष ने लोगों से अपील की है कि वे वायु गुणवत्ता के प्रति सजग रहें और प्रदूषणकारी तत्व के संज्ञान आते ही इसकी सूचना तत्काल उपलब्ध कराएं।
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए जांच दलों का गठन किया है। खुले में कृषि अपशिष्ट, लकड़ी, कोयला, कूड़ा बड़ी मात्रा में जलाई जा रही है।
भवन का निर्माण ढक कर नहीं किया जा रहा है। लोगों द्वारा वाहनों का सही से उपयोग नहीं किया जा रहा है। इन कारणों के बने रहने पर वायु गुणवत्ता में कठिन है। इस तरह के अवैध कार्यों में लिप्त उल्लंघन करने वालों पर्षद द्वारा पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाई जा रही है।
हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10
धूल-कण के कारण भी शहर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। वायु गुणवत्ता में ह्रास के मुख्य कारण धूल-कण हैं। पीएम 2.5 व पीएम 10 हवा में तेजी से फैल रहे हैं। तापमान में कमी की वजह से प्रदूषक तत्वों की सांद्रता बढ़ जाती है, जो वायु गुणवत्ता को प्रभावित करती है।
वायु के प्रवाह में कमी की वजह से प्रदूषक तत्व का प्रवाह एक स्थान से दूसरे स्थान में काफी कम हो जाता है और यह स्थानीय रूप से एकत्रित हो जाते हैं, जो वायु गुणवत्ता को प्रभावित करती है।
ठंड के मौसम में पुआल जलाने, कृषि अपशिष्ट, कूड़-कचरे, पत्ते जलाने, गोयठे या कोयले पर खाना बनाने के कारण हवा में प्रदूषण फैल रहा है।
खुले में भवन निर्माण कार्य, बगैर ढके बालू, मिट्टी, राख की ढुलाई, वाहन का अनावश्यक प्रयोग, सड़कों पर फैली मिट्टी व धूल-कण के कारण वायु गुणवत्ता खराब से गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है।