BiharBhagalpurNationalTrendingViral News

भागलपुर: कामेश्वर यादव का निधन, सेवक का रो-रो कर बुरा हाल, कहा- किनकी सेवा करेंगे, कौन उनके लिए सोचेगा

भागलपुर: काली महारानी महानगर केंद्रीय महासमिति, भागलपुर के प्रधान संरक्षक कामेश्वर प्रसाद यादव का बुधवार को निधन हो गया. उनके निधन की सूचना मिलते ही भागलपुर समेत अंग क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी. दरअसल कामेश्वर प्रसाद यादव धार्मिक व सामाजिक कार्यों में हमेशा आगे रहते थे. उनके इसी खासियत को लेकर लोगों ने शोक जताया है.

GridArt 20240104 162839462 scaled

कामेश्वर प्रसाद यादव के सेवक राजेंद्र रजक उनके पार्थिव शरीर को पकड़कर रोते बिलखते रहे. स्थानीय लोगों ने बताया कि राजेंद्र रजक पास ही झुग्गी-बस्ती में रहते थे. जब अतिक्रमण मुक्त अभियान में उनका आशियाना उजड़ गया तो कामेश्वर यादव के घर में रहने लगे. वर्षों से राजेंद्र कामेश्वर यादव की सेवा में लगा रहता था. इससे उनका संबंध इतना आत्मिक हो गया कि खुद को परिवार के सदस्य से कम नहीं समझता. प्रौढ़ राजेंद्र रो-रोकर यही रट लगा रहे थे कि अब किनकी सेवा करेंगे. कौन उनके लिए सोचेगा.

GridArt 20240104 162753183 scaled

बुधवार को कामेश्वर यादव की शवयात्रा निकाली गयी. उनके समर्थकों की भीड़ सड़क पर उतर गयी. कामेश्वर यादव अमर रहे के नारे लगाते हुए गंगा घाट की ओर वो बढ़े.

चांद मिश्रा के अखाड़े से कुश्ती के दांव-पेच सीखकर कामेश्वर यादव को कमेसर पहलवान से पहचान मिली. बड़े बुजुर्ग कहा करते थे कि कमेसर की धोबिया पाट का कोई तोड़ नहीं था.

IMG 20240103 WA0015 1

स्थानीय लोगों की मानें तो उनकी पहचान क्षेत्र में पहलवान के तौर पर थी. वे मूलतः सिल्क कारोबारी थे उनके घर में हैंडलूम भी चलता था. इसके अलावा खेती-किसानी से भी जुड़े थे. 40 वर्षों से धार्मिक व सामाजिक कार्यों से जुड़े थे. उनके समर्थकों का तादाद भी काफी थी.

देश के मुख्य दंगों में एक भागलपुर के 1989 दंगे में कामेश्वर प्रसाद यादव को मुख्य आरोपित बनाया गया था. इसमें उन्हें उम्रकैद की सजा मिली थी. जिसके बाद 10 साल वो जेल में रहे. अदालत से पर्याप्त साक्ष्य नहीं रहने पर 2017 में वो रिहा हुए थे।

IMG 20240103 WA0017 1 jpg

 

 

एक जाति व विचारधारा विशेष के लोगों में लोकप्रियता के मद्दे नजर हिंदू महासभा ने कामेश्वर यादव को नाथनगर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया था. वो जीत करीब पहुंचे थे. बताया जाता है कि चुनावी मैदान में एक स्वजातीय प्रत्याशी होने से मतों में बिखराव हो गया और कामेश्वर यादव जीत से चूक गये थे.

गुरुवार को जब उनकी शव यात्रा निकली तो लोग कहते दिखे कि अब मूर्ति विसर्जन के लिए कभी कामेश्वर यादव का इंतजार नहीं होगा. बता दें कि भागलपुर में काली प्रतिमा विसर्जन शोभायात्रा जब भी निकलती थी तो सबको कामेश्वर यादव का इंतजार रहता था. उनके आने के बाद ही शोभायात्रा आगे बढ़ती थी.


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Kumar Aditya

Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रदर्शन पर कार्यशाला आयोजित बिहार में बाढ़ राहत के लिए भारतीय वायु सेना ने संभाली कमान बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने रवाना हुए सीएम नीतीश पति की तारीफ सुन हसी नही रोक पाई पत्नी भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी