भागलपुर से मुंगेर जाने वाली मुख्य सड़क राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 80 से एनएच का दर्जा छिन जायेगा। दो साल बाद जब वर्तमान एनएच 80 का चौड़ीकरण व निर्माण कार्य पूरी तरह से खत्म हो जाएगा, तब इस नाम का अस्तित्व ही मिट जाएगा।
यह नाम सिर्फ पुरानी फाइलों में ही दिखेगी। हालांकि 10 साल तक मेंटेनेंस का कार्य एजेंसी के पास होगा। इसलिए उनके स्तर से पत्राचार में एनएच 80 का जिक्र होगा। लेकिन सड़क किनारे पत्थर के लैंडमार्क पर अंकित एनएच-80 मिट जाएगा। इसकी जगह मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड या स्टेट हाईवे की निर्धारित संख्या अंकित होगी। इस सड़क को क्या दर्जा मिलेगा, यह मंत्रालय तय करेगा। एनएच 80 अरवल से शुरू होकर जहानाबाद, बिहारशरीफ, शेखपुरा (बरबीघा), पटना (मोकामा), लखीसराय, मुंगेर के रास्ते भागलपुर के पीरपैंती हो झारखंड में प्रवेश करती है।
एनएच 80 कई जिलों में फोरलेन से सटकर नई सड़क के रूप में एनएच 33 बन गई है। यही वजह है कि मोकामा में बाटा मोड़ से मुंगेर होकर मिर्जाचौकी तक बन रहे नये ग्रीनफील्ड फोरलेन का नामांकरण भी एनएच 33 कर दिया गया है।
यह फोरलेन सुल्तानगंज, नाथनगर, सबौर, कहलगांव, पीरपैंती के पास कुछ जगहों पर एनएच 80 से जुड़ते हुए मिर्जाचौकी तक जाएगी। इसलिए वहां का भाग एनएच 33 कहलाएगा। लेकिन भागलपुर जीरोमाइल से कहलगांव तक, जहां फोरलेन नहीं मिलती है। उसे एमडीआर या एसएच का नाम दिया जाएगा। सड़क के नामांकरण का अधिकार सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (मोर्थ) के अधीन है।
443 किमी लंबी एनएच 80 सड़क अरवल से मिर्जाचौकी जाती
अभियंताओं ने बताया कि एनएच 80 इतिहास बन जाएगा। क्योंकि 443 किमी लंबी यह एनएच सड़क बिहार, झारखंड, बंगाल को छूती है। एनएच के अधीक्षण अभियंता अनिल कुमार सिंह ने बताया कि ग्रीनफील्ड फोरलेन एनएच 33 कहलाएगा। जबकि वर्तमान एनएच 80 को आरसीडी को सौंप दिया जाएगा।
अभी यह तय नहीं हुआ कि 10 साल तक मेंटेनेंस पीरियड खत्म होने के बाद आरसीडी को देना है या चौड़ीकरण काम खत्म होने के बाद। आरसीडी के प्रभारी कार्यपालक अभियंता रवि रंजन ने बताया कि एनएच 80 पथ निर्माण विभाग के अधीन होगा। मंत्रालय से एसएच या एमडीआर संख्या नहीं आया है।