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भागलपुर : महिला के गॉल ब्लाडर में था स्टोन, मायागंज अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करने पर बताया गर्भवती ?

ByKumar Aditya

सितम्बर 26, 2024
Kernodle High Risk pregnancyMid-section image of unrecognizable female doctor explaining ultrasound scan results to pregnant woman using digital tablet

भागलपुर : जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में पीपीपी मोड पर संचालित पुरुष अल्ट्रासाउंड सेंटर का सोमवार को एक और कारनामा सामने आया। अस्पताल के गायनी विभाग में इलाज कराने पहुंची शाहकुंड की महिला को जांच के लिए पुरुष अल्ट्रासाउंड सेंटर भेजा गया।

महिला के गॉल ब्लाडर में स्टोन था पर अल्ट्रासाउंड करने के बाद उसे गर्भवती बता रिपोर्ट दे दी गई। यह सुन महिला भड़क गईं। उन्होंने जांच रिपोर्ट पर सवाल तो उठाया ही, मामले की शिकायत रेडियोलाजी विभाग के एचओडी और अस्पताल अधीक्षक से की।

रिपोर्ट देखने के बाद गायनी विभाग के डॉक्टर को भी शक हुआ। जिसके बाद उन्होंने मरीज को सर्जरी विभाग रेफर कर दिया।

सर्जरी विभाग के चिकित्सक ने मरीज की दोबारा महिला अल्ट्रासाउंड सेंटर में जांच कराई। जहां गालब्लार में स्टोन होने का पता चला। रिपोर्ट देख महिला के जान में जान आई। इधर, अस्पताल अधीक्षक केके सिन्हा ने कहा कि गलत रिपोर्ट देने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

क्या कहती हैं महिला

शाहकुंड खैरा निवासी बीबी इशरत ने बताया कि मैं गर्भवती हो ही नहीं सकती। रिपोर्ट देखकर मेरे पांव के नीचे से जमीन खिसक गई थी। दोबारा जांच कराने पर सच सामने आया। महिला ने बताया कि पुरुष अल्ट्रसाउंड सेंटर में लापरवाही चरम पर है। वहां जांच कराने पर पेट में कुछ न कुछ होने का पता चला था।

पेट के अंदर क्या है इसकी पहचान वहां के डाक्टर भी नहीं कर पाए। इधर, डाटा आपरेटर ने रिपोर्ट में पाजिटिव फाइडिंग की जगह फिटल लिख दिया। फिटल का अर्थ गर्भवती होना होता है। जिसे देख मैं घंटों परेशान रही।

पहले भी यह हो चुकी है यहां लापरवाही

पुरुष अल्ट्रासाउंड सेंटर में पहले भी इस तरह की लापरवाही सामने आ चुकी है। यहां एक मरीज के गाल ब्लाडर में पथरी थी पर उन्हें संक्रमण बता दिया गया था। दर्द से मरीज काफी देर तक परेशान रहे। दूसरे अल्ट्रासाउंड सेंटर में जांच कराने पर गाल ब्लाडर में से पथरी का पता चला।

बता दें कि अस्पताल में पीपीपी मोड पर दो अल्ट्रसाउंड सेंटर संचालित होता है। दोनों एजेंसी को काम बांट दिया गया है।

ओपीडी के नीचे संचालित जांच सेंटर में पुरुष का तो पहली मंजिल पर महिलाओं की अल्ट्रसाउंड जांच होती है। लेकिन अधीक्षक के आदेश को ताक पर रख पुरुष अल्ट्रसाउंड जांच एजेंसी महिलाओं की भी जांच कर देती है।

मुख्य बात

  • प्रेगनेंट होने की बात सुन महिला ने जांच रिपोर्ट पर उठाया सवाल
  • रेडियोलाजी विभाग के एचओडी और अस्पताल अधीक्षक से की शिकायत
  • रिपोर्ट देख गायनी विभाग के डाक्टर को भी हुआ शक
  • मुकम्मल जांच के लिए महिला को सर्जरी विभाग कर दिया गया रेफर
  • अस्पताल अधीक्षक केके सिन्हा ने सख्त कार्रवाई करने की कही बात

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