भागलपुर:- गंगा व कोसी के जलस्तर में वृद्धि होते ही भागलपुर का कई इलाका जलमग्न होने लगता है. इसके साथ ही लोग डर के साए में जीने लगते हैं. इसकी मुख्य वजह सिर्फ जलमग्न हो तो कोई बात नहीं, लेकिन लहर से कटाव इतना तेज हो जाता है कि कई घर देखते ही देखते गंगा व कोसी में विलीन हो जाते हैं. आज जो बात करने वाले हैं, वह किसी घर या किसी जमीन की नहीं, बल्कि हमेशा सुर्खियों में रहने वाले भागलपुर एनएच 80 की है. दरअसल भागलपुर एनएच 80 बिहार को झारखंड से जोड़ती है. भागलपुर से पीरपैंती के रास्ते मिर्जाचौकी को जाती है. जहां से रोजाना करोड़ों रुपए का कारोबार होता है. दरअसल इसी रास्ते से गिट्टी का कारोबार होता है. साथ ही यहां से झारखंड कई तरीके के सामग्री को भेजा जाता है. इस बार गंगा ने अपना ऐसा कहर बरपाया कि एनएच को ही अपने में समा लिया।
40 फिट के करीब कटी सड़क
भागलपुर के सबौर इलाके के घोषपुर के समीप करीब 30 से 40 फीट एनएच गंगा में समा गई. बाकायदा लोगों का आवागमन बाधित हो गया. बड़े वाहनों पर रोक लगा दी गई. रोजगार पूरी तरीके से ठप पड़ गया. रोजाना शहर आने-जाने वाले लोगों के लिए अभी नाव सहारा बनी हुई है. नाव से लोग एक पार से दूसरे पार को कर रहे हैं. अपनी गाड़ियों को इस नाव के सहारे ला रहे हैं. इससे पहले भी लोकल 18 ने एनएच 80 की स्थिति को दिखाई थी कि किस तरीके से एनएच के ऊपर से पानी निकल रहा है और पहले ही लोगों को सचेत भी किया था कि यह पूरी तरीके से कट जाएगा और अंत में वही हुआ. एनएच पूरी तरीके से कटकर खत्म हो गया।
लोगों के रोजगार पर असर पड़ने लगा
आपको बता दें कि भागलपुर के सबौर के समीप का इलाका इंग्लिश फरका से भागलपुर रोजाना हजारों हजार लीटर दूध पहुंचता है. इस गांव में दूध का अच्छा कारोबार है, जो पूरी तरीके से बाधित हो गया है. घोघा में ईंट का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है, जो पूरी तरीके से ठप पड़ गया है. स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग सभी चीजों के दामों में वृद्धि कर चुके हैं. दरअसल उनका कहना है कि अब अगर हम आपके पास पहुंचते हैं, तो करीब 30 किलोमीटर अत्यधिक घूम कर आना होगा. इसके बाद हम आप तक पहुंचेंगे, इसलिए उसके अनुसार आपको पैसे चुकाने होंगे।
सामान्य स्थिति हो जाने के बाद भी आवागमन रहेगा बाधित
दरअसल गंगा के जलस्तर में अब वृद्धि नहीं हो रही है. धीरे-धीरे गंगा का जलस्तर घटते जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद अभी एनएच 80 का आवागमन शुरू करना काफी मुश्किल है. दरअसल 30 से 40 फीट का जो हिस्सा है, वह पूरी तरीके से कट चुका है और जब तक सामान्य रूप से सुख नहीं जाता है, तब तक वहां पर निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो पाएगा. जमीन से 10 फीट ऊपर एनएच है. उस लेवल के आने के बाद ही सामान्य कार्य प्रारंभ हो पाएगा. संभावना यह भी जताई जा रही है कि कहीं एनएच एक माह से अधिक तो प्रभावित नहीं हो जाएगा. अगर पानी तेज रफ्तार के साथ घटती है, तो संभवत एक माह के भीतर एनएच पर आवागमन पुनः प्रारंभ हो जाएगा।