भजन गायिका कल्पना पटवारी बोली- भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं करा पाना हमारी नाकामयाबी
प्रसिद्ध भजन गायिका कल्पना पटवारी का कहना हैं कि एक दौर था जब लोगों को मुकाम तक पहुंचने के लिए स्ट्रगल करना पड़ता था पर आज सोशल मीडिया के दौर में स्ट्रगल खत्म सा हो गया है। लोग सोशल मीडिया में अपना हुनर दिखाकर फेमस हो रहे है। कल्पना पटवारी के अनुसार भोजपुरी में अश्लीलता की बात की जाए तो जो लोग ऐसे गाने बनाते है उनमें शिक्षा की कमी होती है। उन्होंने माना कि कुछ गाने ऐसे उन्होंने भी गाए है, पर बाद में एहसास होने पर उन्होंने ऐसे गाने गाना बंद कर दिया। गायिका कल्पना पटवारी मंगलवार को साकची स्थित एक होटल में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कई महत्वपूर्ण बातें कही।
राजनीति से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर मौका मिला तो राजनीति में जरूर जाना चाहूंगी और सबसे पहले अपनी भाषा के प्रति कुछ करूंगी। कल्पना ने आगे कहा कि उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा अन्य भाषाओं की तुलना में काफी पीछे है आज साउथ की फिल्में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हो रही है, पर भोजपुरी को भारत में ही पूरी तरह से तरजीह नहीं दी जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं होना है। भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं करवा पाना हमारी नाकामयाबी है। कई बुद्धिजिवियों ने इसके लिए आंदोलन भी किया पर कोई फायदा नहीं हुआ जब तक भोजपुरी को अनुसूची में शामिल नहीं किया जाएगा तब तक इसे अपनी पहचान नहीं मिल पाएगी। उ
न्होंने बताया कि इसके पूर्व वह साल 2018 में जमशेदपुर आई थी। इन पांच सालों में शहर में वही सभ्यता देखने को मिली। हर हर महादेव सेवा संघ के इस कार्यक्रम में कई कलाकार आए पर उनमें से ज्यादातर भोजपुरी गायक ही थे। साल 2002 में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी और आज 20 सालों बाद जीवन को देखने का नजरिया बदल चुका है।
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