सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में पटना हाईकोर्ट ने ये स्पष्ट किया है कि राज्य में प्राथमिक वर्गों (कक्षा एक से पांच) में बीएड डिग्रीधारक शिक्षक के रूप में नियुक्त नहींहोंगे. चीफ जस्टिस के वी चंद्रन व जस्टिस राजीव रॉय की खंडपीठ ने ललन कुमार व अन्य द्वारा बड़ी संख्या में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की।
पटना हाईकोर्ट से B.ED शिक्षकों को झटका: कोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि प्राथमिक कक्षाओं में डीएलएड डिग्री प्राप्त शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी. हाईकोर्ट के इस आदेश से बड़ी संख्या ( लगभग 22 हजार शिक्षकों) की नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं,जिनकी नियुक्ति इस मामले की सुनवाई के दौरान हुई है।
लगभग 22 हजार बीएड शिक्षकों को बड़ा झटका: कोर्ट को बताया गया था कि 28 जून, 2018 को एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई, जिसमें प्राथमिक कक्षाओं में बीएड डिग्रीधारक शिक्षकों को योग्य माना गया. इसी अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देवेश शर्मा बनाम केंद्र सरकार व अन्य में दी गयी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिसूचना को रद्द कर दिया था।
पहले थे योग्य: एनसीटीई द्वारा 28 जून, 2018 को जो अधिसूचना जारी किया गया था,उसमें बीएड डिग्रीधारक शिक्षकों को भी प्राथमिक कक्षाओं में नियुक्ति के लिए योग्य कहा गया था. उन्हें प्राथमिक शिक्षा में 2 वर्षो के भीतर 6 माह का एक ब्रिज कोर्स किये जाने का प्रावधान किया था।
डीएलएड डिग्रीधारक शिक्षकों को ही नियुक्ति:लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सर्वेश शर्मा बनाम केंद्र सरकार व अन्य के मामले में एनसीटीई के उस अधिसूचना को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाने के लिए डीएलएड डिग्रीधारक शिक्षकों को ही नियुक्ति की जायेगी. पटना हाईकोर्ट ने इस आदेश के आलोक में ये स्पष्ट किया है कि राज्य में प्राथमिक कक्षाओं में डीएलएड डिग्रीधारक शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।