बिहार सरकार का बड़ा फैसला, अब सर्वे के दौरान जमीन मालिक को इस चीज़ से मिलेगी छूट
बिहार में पिछले कई महीनों से धीमी रफ़्तार से ही सही लेकिन जमीन सर्वें का काम जारी है। इसको लेकर विभाग हर दिन कोई न कोई बदलाव कर रहा है ताकि आम लोगों को अधिक परेशानी न उठाना पड़े। ऐसे में अब यह निर्णय लिया गया है कि जमीन सर्वे के क्रम में स्थल पर भौतिक सत्यापन या किस्तवार प्रक्रम के दौरान संबंधित जमीन मालिक की उपस्थिति आवश्यक नहीं है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इसे लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए इसे अनिवार्य नहीं बताया है। विभाग के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति स्वयं नहीं आ सकता है, तो उनके किसी भरोसेमंद तथा अधिकृत प्रतिनिधि के जमीन पर उपस्थित रहने से सर्वे कर्मियों को पहचान में सुविधा होगी। प्रतिनिधि भेजने की भी कोई अनिवार्यता नहीं रखी गई है, लेकिन किसी की मौजूदगी से जमीन के भूखंड को पहचानने में सर्वे कर्मियों को सुविधा होगी।
वहीं सर्वे कार्य से जुड़ी किसी तरह की समस्या या शिकायत के लिए विभाग के स्तर से एक टोल फ्री नंबर 18003456215 जारी किया गया है। इस पर सबसे ज्यादा सवाल वंशावली, खतियान, राजस्व रसीद समेत अन्य मुद्दों को लेकर आ रहे हैं। इनके समाधान के लिए विभाग के स्तर से रैयतों के लिए कुछ सामान्य अनुदेश जारी किए गए हैं। इसमें क्या आवश्यक है या क्या आवश्यक नहीं है, इसकी अलग से बिन्दुवार जानकारी दी गई है। विभाग का मकसद लोगों के बीच इन बातों को लेकर संशय की स्थिति दूर करना है।
बताया गया है कि स्वघोषणा प्रपत्र-2 रैयत या रैयत के वंशज की ओर से जमीन की जानकारी भरकर अंचल शिविर में जमा करें या भू-अभिलेख की वेबसाइट पर अपलोड करें। खतियान रैयत या जमाबंदी रैयत के वंशज स्वयं प्रपत्र-3 (1) में वंशावली तैयार कर शिविर या ऑनलाइन अपलोड करें, राजस्व रसीद की छायाप्रति संलग्न करें। यदि क्रय या बदलैन या दान की भूमि हो, तो दस्तावेज की छायाप्रति दें, यदि किसी जमीन को लेकर कोर्ट का आदेश हो, तो आदेश की छायाप्रति संलग्न करें। बंदोबस्त भूमि या भूदान प्रमाणपत्र या वासगीत पर्चा की छायाप्रति दें, जमाबंदी रैयत जीवित है, तो सिर्फ स्वघोषणा (प्रपत्र-2) देंगे, वंशावली की आवश्यकता नहीं।
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