1. सभी जिलों में स्कूलों के इंस्पेक्शन की जिम्मेवारी डीडीसी को सौंपी गयी है। डीडीसी उस जिले में तैनात शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों को स्कूलों के इंस्पेक्शन का जिम्मा सौंपेंगे।
2. हर जिले में शिक्षा विभाग के हर अधिकारी और कर्मचारी को 3-3 महीने के लिए 10 से 15 स्कूलों का जिम्मा दिया जायेगा। वे इस अवधि में इन विद्यालयों का सम्पूर्ण देख-रेख करेंगे। सभी अधिकारियों औऱ कर्मचारियों को रोस्टर बनाकर स्कूलों के इंस्पेक्शन का जिम्मा दिया जायेगा। जिले के सभी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च-माध्यमिक विद्यालयों का सप्ताह में कम-से-कम एक बार इंस्पेक्शन करना जरुरी होगा।
3. स्कूलों के इंस्पेक्शन के लिए तैनात पदाधिकारी या कर्मचारी अपने जिम्मे के स्कूल में पर्याप्त समय देंगे और वहां हर चीज का निरीक्षण करेंगे। वे प्रधानाध्यापक और शिक्षक के साथ विद्यालय संचालन में आने वाली कठिनाईयों पर बात कर स्कूल को विकसित करायेंगे ताकि बेहतर शैक्षणिक वातावरण तैयार हो सके।
4. निरीक्षी पदाधिकारी या कर्मचारी आवंटित हर स्कूल का सप्ताह में कम-से-कम एक बार निरीक्षण जरूर करेंगे। निरीक्षी पदाधिकारी या कर्मचारी हर सप्ताह में 03 (तीन) दिन आवंटित विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे। निरीक्षी पदाधिकारी/कर्मी जरूरत पड़ने पर सप्ताह में एक से अधिक बार भी आवंटित विद्यालयों का निरीक्षण कर सकते हैं।
5. निरीक्षण के दौरान स्कूल में पाई गई कमियों को ठीक करने के लिए निरीक्षी पदाधिकारी या कर्मचारी जिम्मेवार होंगे। अगले सप्ताह के निरीक्षण में विद्यालय में पाई गई कमियों के सुधार की फिर से समीक्षा करेंगे। यदि कमी यथावत पाई जाती है तो उस कमी के दूर होने तक अनवरत प्रयास करते रहेंगे, जबतक वह कमियां पूरी तरह से ठीक न हो जाय।
6. डीडीसी यानि उप विकास आयुक्त हर तीन महीने पर निरीक्षण करने वाले प्रत्येक पदाधिकारी और कर्मचारी का स्कूल आवंटन से संबंधित रोस्टर को बदलेंगे और ये सुनिश्चित करेंगे कि पिछले तिमाही में आवंटित स्कूल इस तिमाही में उसी पदाधिकारी और कर्मचारी को फिर से आवंटित न हो।
7. निरीक्षण करने वाले पदाधिकारी और कर्मचारी जिस स्कूल का निरीक्षण करेंगे, उसका प्रतिवेदन विभाग द्वारा विकसित ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करेंगे।
शिक्षकों की उपस्थिति की जांच होती रहेगी
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि स्कूलों के निरीक्षण के दौरान ये देखा जायेगा कि स्कूल में प्रधानाध्यापक औऱ शिक्षकों का पदस्थापन सही तरीके से हुआ है या नहीं। वहां तैनात प्रधानाध्यापक और शिक्षक सही समय पर स्कूल आ रहे हैं या नहीं। स्कूलों में विषय के मुताबिक शिक्षको की तैनाती है या नहीं। क्लास का संचालन समय सारिणी के अनुसार हो रहा है या नहीं? शिक्षक क्लास में कैसे पढा रहे हैं। वे छात्रों के गृह कार्य से संबंधित कॉपियों और साप्ताहिक/मासिक / त्रैमासिक / अर्द्धवार्षिक / वार्षिक परीक्षा के कॉपियों / उत्तर पुस्तिकाओं का सही मूल्यांकन कर रहे हैं या नहीं। स्कूल में अभिभावक शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन हो रहा है या नहीं। स्कूलों में कितने बच्चे नियमित तौर पर आ रहे हैं और कितने बच्चों का नामांकन नहीं हुआ है। स्कूलों में नामांकित ऐसे बच्चें, जो नियमित रूप से विद्यालय नहीं आते है, उनके अभिभावकों से सम्पर्क स्थापित कर उन्हें विद्यालय आने हेतु प्रेरित कराया जायेगा। निरीक्षण करने वालों को स्कूल में सारी सुविधाओं के साथ-साथ मिड डे मिल, पेयजल, शौचालय, किचन शेड, थाली, चूल्हा ऐसे तमाम सुविधाओं पर ध्यान देना होगा।
जिलाधिकारी से औचक निरीक्षण कराया जायेगा
शिक्षा विभाग राज्य मुख्यालय से हर सप्ताह 10-10 रैंडम स्कूलों की सूची सभी जिला पदाधिकारी को भेजेगा। जिला पदाधिकारी अपने स्तर से सूची में अंकित विद्यालयों के निरीक्षण के लिए संबंधित जिला के उप विकास आयुक्त, वरीय उपसमाहर्त्ता, अनुमण्डल पदाधिकारी को नामित करते हुए निरीक्षण के सारे बिंदुओं पर चिन्हित विद्यालयों की जाँच कराकर जाँच प्रतिवेदन मुख्यालय को उपलब्ध करायेंगे। जिला पदाधिकारी और उप विकास आयुक्त इस निरीक्षण व्यवस्था का प्रत्येक सप्ताह समीक्षा करेंगे एवं अनुश्रवण के दौरान पाई गई त्रुटियों का निराकरण कराएंगे।
वहीं,. राज्य मुख्यालय से हर तीन महीने के लिए जिलावार नोडल पदाधिकारी बनाये जायेंगे, जो प्रत्येक सप्ताह में एक दिन जिला भ्रमण कर मुख्यालय स्तर से उपलब्ध कराये गये रोस्टरवार किसी एक प्रखंड के 05-05 स्कूलों की जांच करेंगे और जाँच प्रतिवेदन देंगे। राज्यस्तर पर गठित अनुश्रवण जिलों से उन स्कूलों के संबंध में आयी रिपोर्ट से उसका मिलान करेगा। समीक्षा के क्रम में दोनो जाँच प्रतिवेदनों में भिन्नता पाये जाने को विभाग द्वारा गंभीरता से लिया जायेगा तथा अनुश्रवण के नाम पर खानापूर्ति करने वाले जिला के निरीक्षी पदाधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।