CHO पेपर लीक मामले में बड़ा खुलासा, EOU की जांच में 100 करोड़ के फर्जीवाड़े के मिले सबूत

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बिहार में राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा आयोजित कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (CHO) की परीक्षा प्रश्नपत्र लीक होने के कारण रद्द कर दी गई है। इस परीक्षा में लगभग 4500 पदों पर भर्ती होनी थी। पेपर लीक की जांच कर रही आर्थिक अपराध ईकाई की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। पेपर लीक से जुड़े माफिया ने 100 करोड़ रुपए कमाने का टारगेट फिक्स कर दिया था।

पुलिस की जांच में सामने आई है कि इस परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी। परीक्षा माफिया रविभूषण और अतुल प्रभाकर ने परीक्षा कराने वाली कंपनी वी शाइन टेक प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों के साथ मिलकर यह साजिश रची थी। इन लोगों ने परीक्षा के लिए 12 केंद्रों को फिक्स किया था और हर केंद्र से 4-4 लाख रुपये वसूले थे।

परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों से 5-5 लाख रुपये में डील हुई थी। अभ्यर्थियों से 25 से 50 हजार रुपये टोकन मनी के रूप में लिए गए थे। इस घोटाले में बड़ी संख्या में लोग शामिल थे। इस घोटाले से करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ। परीक्षा कराने वाली कंपनी से 8 लाख रुपये में डील हुई थी। लगभग 60% सीटें पहले से ही तय थीं।

इस मामले में EOU ने रविभूषण और अतुल प्रभाकर के ठिकानों पर छापेमारी की है। रविभूषण फिलहाल फरार है। पुलिस इस मामले की गहनता से जांच कर रही है। बिहार में CHO परीक्षा में हुए पेपर लीक का मामला एक बड़ा घोटाला हुआ है। EOU की टीम पटना, नालंदा, मुजफ्फरपुर, गया और बिहारशरीफ में छापेमारी कर रही है।

जांच में यह बात सामने आई है कि परीक्षा करा रही संस्था, परीक्षा माफिया और परीक्षा केंद्र के मालिक इसमें मिले हुए थे। इन्होंने गलत तरीके से कंप्यूटर का एक्सेस ले लिया था। उधर, विपक्षी दल इस घोटाले को मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया है कि आखिर सारे पेपर लीक के तार नालंदा से ही क्यों जुड़ते हैं?