राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का बड़ा बयान, कहा- मर्यादा पुरूषोत्तम राम हमारी आवश्यकता हैं

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केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने दिल्ली स्थिति रंग भवन ऑडिटोरियम में ‘राम मंदिर राष्ट्र मंदिर एक साझी विरासत’ किताब को लॉन्च किया। इस कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी महाराज समेत अन्य लोग मौजूद थे। इस दौरान आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भगवान राम ने हमारे लिए जो किया असल में उनके लिए उन्हें मर्यादा पुरूषोत्तम कहा जाता है। उन्होंने कहा, ‘जरा गौर करिए जब वन जाने का फैसला हुआ तो राजा दशरथ उनसे अकेले में कहते हैं, तुम मुझे कैद कर लो, तुमने वचन नहीं दिया है, मैंने वचन दिया है। तुम मेरे वचन के पाबंद नहीं हो, तुम राजा बन जाओ। इसपर राम ने ने कहा कि आपने वाचन दिया है तो उसे मैं निभाऊंगा।’

भगवान राम पर क्या बोले आरिफ मोहम्मद खान

आरिफ मोहम्मद खान ने आगे कहा कि आज एक-एक देश के पास इतने न्यूक्लियर बम हैं कि दुनिया को खत्म करने के लिए काफी है। ये दुनिया खंड-खंड में बंटी हुई है। इसे किसी ऐसे देश के संदेश की जरूरत है जो सबको इकट्ठा कर सके, जो इंसान को इंसान के नाते उसको सम्मान दे सके। जिंदगी का मकसद खुशी हासिल करना नहीं है। जिंदगी का मकसद ज्ञान प्राप्त करना है। इल्म प्राप्त करना होता है। उन्होंने कहा, ‘मैं किस घर में पैदा हुआ ये महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण ये है कि मैं क्या करता हूं। भारती संस्कृति के मुताबिक और इस्लाम के भी मुताबिक कर्म प्रधान है।’

खान बोले- राम आवश्यकता हैं हमारी

उन्होंने कहा कि इंसान अकेले नहीं रह सकता है। इसे समाज चाहिए, समाज के लिए कोई सिद्धांत चाहिए और आधार चाहिए। भारतीय संस्कृति न रंग से, ना भाषा से न इबादत करने के तरीके से परिभाषित होती है। भारतीय संस्कृति परिभाषित होती है आत्मा से। उन्होंने भगवान राम का जिक्र करते हुए कहा कि जब राम को वन जाने को कहा जाता है तो लक्ष्मण नाराज हो जाते हैं। राम क्यों मर्यादा पुरूषोत्तम कहे जाते हैं। क्योंकि जो चीज उन्हें सुख देने वाली है। वो मर्यादा के बाहर जाकर उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। चाहे हम राजनीति में है, डॉक्टर हैं, इंजीनियर हैं। हम कहीं भी काम करते हों, जिन लोगों की जिम्मेदारी हमारे ऊपर है, उनको हम किस नजर से देखें। ये शिक्षा हमें राम से मिलती है। मर्यादा पुरूषोत्तम राम हमारी आवश्यकता हैं, ताकि हम अपने आने वाले नस्लों के चरित्र का निर्माण कर सकें।

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