ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में बड़ा अपडेट, निचली अदालत की कार्यवाही पर पटना HC ने लगायी रोक
हाईकोर्ट पटना ने ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड के ट्रायल प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए सीबीआई की ओर से दायर याचिका के साथ इस मामले को सुनवाई के लिए प्रस्तुत करने का आदेश दिया. जस्टिस संदीप कुमार ने कुमार इंदु भूषण की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की।
ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड मामले पर सुनवाई: अधिवक्ता माधव राज ने कोर्ट को बताया कि ब्रह्मेश्वर मुखिया के हत्या के बाद आरा नवादा पुलिस थाना में दर्ज प्राथमिकी का अनुसन्धान बिहार पुलिस कर रही थी. पुलिस की ओर से आरोप पत्र दाखिल किया गया. इसी बीच इस मामले को सीबीआई को जांच के लिए सौंप दिया गया।
ट्रायल प्रक्रिया पर रोक: सीबीआई ने जांच कर कई लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया, लेकिन निचली अदालत बिहार पुलिस की ओर से दायर आरोप पत्र के आधार पर केस का ट्रायल कर रहा है. उनका कहना था कि जब केस को सीबीआई के हवाले कर दिया गया, तो सीबीआई की ओर से दायर आरोप पत्र के आधार पर ट्रायल प्रक्रिया चलनी चाहिए
बिहार पुलिस की ओर से दाखिल आरोप पत्र ट्रायल : निचली अदालत बिहार पुलिस की ओर से दाखिल आरोप पत्र के आधार पर केस का ट्रायल कर रही है. उन्होंने बिहार पुलिस के बजाये सीबीआई की ओर से दाखिल आरोप पत्र के आधार पर ट्रायल प्रक्रिया चलाने की गुहार आरा सिविल कोर्ट से लगाई।
सीबीआई की ओर से दायर याचिका प्रस्तुत करने का आदेश: कोर्ट ने उनके अनुरोध को मानने से इंकार करते हुये खारिज कर दिया.निचली अदालत के इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. कहा गया कि जब सीबीआई को आगे की जांच का जिम्मा सौंपा दिया गया और सीबीआई ने जांच कर पूरक आरोप पत्र दायर कर दिया, तब सीबीआई के आरोप पत्र के आधार पर ट्रायल होनी चाहिए।
इस दिन होगी अगली सुनवाई: उनका यह भी कहना था कि सीबीआई ने भी हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर निचली अदालत के निर्णय को चुनौती दी है. कोर्ट ने दोनों केस पर एक साथ सुनवाई करने का आदेश दिया. साथ ही निचली अदालत में चल रहे ट्रायल प्रक्रिया पर रोक लगा दी. 22 जुलाई,2024 को इस मामले पर सुनवाई होगी।
क्या है मामला?: 1 जून 2012 को आरा के कतीरा में ब्रह्मेश्वर मुखिया की उनके घर के सामने गोली मार हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या के बाद उस समय पूरे बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया था. हत्या के बाद मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. लेकिन पुलिस के हत्याकांड में शामिल लोगों का पता नहीं चल पाया था।
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