विशेष समस्या बताकर राज्य के पौने दो लाख से अधिक शिक्षकों ने रविवार की शाम तक सरकार को अपने तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है। शिक्षा विभाग को उम्मीद थी कि अधिकतम एक लाख तक आवेदन आएंगे, पर यह संख्या काफी अधिक हो गई।
राज्य में कुल कार्यरत शिक्षकों की संख्या साढ़े पांच लाख है। एक दिसंबर से 15 दिसंबर तक आवेदन का मौका दिया गया था। विभाग के पदाधिकारी ने बताया कि 15 दिसंबर की मध्य रात्रि तक ई शिक्षा कोष पोर्टल पर आवेदनों की संख्या और भी बढ़ने की संभावना है, जिसकी पूरी रिपोर्ट 16 दिसंबर तक आएगी।
विभाग ने कहा था कि विशेष समस्या के कारण जो शिक्षक अपना तबादला चाहते हैं, वो आवेदन करेंगे। इसके लिए सात तरह की समस्याएं भी विभाग के द्वारा चिह्नित की गयी थीं। इनमें असाध्य रोग, गंभीर बीमारी, दिव्यांगता, विधवा एवं परित्यक्ता, पति-पत्नी का पदस्थापन, पदस्थान से ऐच्छिक स्थान की लंबी दूरी आदि तय किये गये हैं। पौने दो लाख में करीब डेढ़ लाख शिक्षकों ने लंबी दूरी की समस्या के कारण आवेदन किया है। इस तरह देखें तो 85 प्रतिशत आवेदन लंबी दूरी में पदस्थापन के कारण ही आये हैं। अर्थात ये सभी शिक्षक जहां पर पदस्थापन चाहते हैं, वहां से वर्तमान पदस्थापन स्थल दूरी पर है।
पति का पदस्थापन दूसरा बड़ा आधार
दूसरी सबसे अधिक संख्या उन शिक्षकों की है, जो पति-पत्नी के पदस्थापन के आधार पर तबादला चाहते हैं। शिक्षा विभाग ने जनवरी के प्रथम सप्ताह तक शिक्षकों के तबादले कर देने का लक्ष्य रखा है। विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने दस दिसंबर मीडिया से बातचीत में यह जानकारी दी थी।
तबादले के पांच आधार
● पदस्थापन की लम्बी दूरी
● पति-पत्नी दोनों नौकरी में अलग-अलग जगह
● दिव्यांगता
● विधवा व परित्यक्ता
● असाध्य बीमारी
अब आगे क्या
शिक्षा विभाग ताबदले के लिए आये ऑनलाइन आवेदनों की जांच अब शुरू करेगा। इसमें यह देखा जाएगा कि कितने शिक्षक किस जिले के पंचायत, नगर निकायों के लिए आवेदन किया है। कितने शिक्षक हैं जो जिले के अंदर ही तबादला चाहते हैं। कितने दूसरे जिले में जाना चाहते हैं। इसके बाद शिक्षकों के द्वारा बताये गये विकल्प के आधार पर यथासंभव उन्हें स्थानांतरित करेगा। हर शिक्षक के लिए स्कूल आवंटित करेगा। विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में आये आवेदनों की जांच कर स्कूल आवंटित करना विभाग के लिए चुनौती होगी। शिक्षकों को लंबी दूरी पर पदस्थापन के आधार पर आवेदन मांगे गये थे, पर न्यूनतम दूरी को लेकर कोई मानक तय नहीं है।