पटना/राजेंद्र बाल उद्यान:
बिहार में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। राजधानी के राजेंद्र बाल उद्यान, जो कि बच्चों का पार्क है, वहां 22 बोरियों में 100 से ज्यादा सांप बंद मिले। जैसे ही लोगों को इसकी जानकारी मिली, इलाके में हड़कंप मच गया। अगर किसी ने गलती से बोरी खोल दी होती, तो भयानक हादसा हो सकता था।
सांपों की तस्करी का आरोप, वन विभाग कर्मी पर सवाल
इस पूरे मामले में वन विभाग के रेस्क्यू कर्मी मुकेश कुमार, जो पार्क के सुपरवाइजर भी हैं, पर सांप तस्करी का आरोप लगाया गया है।
स्थानीय लोगों ने उन्हें पकड़कर घेर लिया और वन विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारी को बुलाने की मांग की।
स्थानीय व्यवसायी सविता देवी ने बताया,
“कल कोर्ट में एक लड़के ने बताया कि पार्क में सांप मारा जाता है। जब पार्क पहुंची तो देखा कि कई बोरी रखे हैं। एक बोरी खोलते ही सांप निकलकर बिल में घुस गया।”
क्या कहते हैं रेस्क्यू कर्मी?
रेस्क्यू कर्मी मुकेश कुमार ने इन आरोपों को नकारते हुए सफाई दी:
“यह सभी सांप स्थानीय घरों और मोहल्लों से पकड़े गए हैं। हम उन्हें कुछ दिन के लिए यहां रखते हैं और फिर जंगल में छोड़ देते हैं। तस्करी का आरोप बेबुनियाद है।”
उन्होंने कहा कि सिर्फ 10–12 सांप हैं, और गर्मी के कारण कुछ की मौत हो गई है।
फॉरेस्टर की सफाई: “सांप जंगल में छोड़े जाते हैं”
इस मामले में फॉरेस्टर अशोक कुमार ने कहा:
“सांपों को पकड़कर पार्क में अस्थायी रूप से रखा जाता है। फिर उन्हें प्लास्टिक की बोरियों में बंद कर जंगल में छोड़ा जाता है। यह स्थान वन विभाग का ही है, इसलिए यहां रखा गया।”
हालांकि स्थानीय लोग दावा कर रहे हैं कि सांप 6 महीने से लेकर एक साल तक पार्क में रखे जा रहे हैं, जबकि विभाग कह रहा है कि सिर्फ 2–3 दिन से सांप यहां हैं।
बड़ी लापरवाही: बच्चों के लिए खतरा
यह मामला सिर्फ सांपों की तस्करी तक सीमित नहीं है, बल्कि सुरक्षा को लेकर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।
बच्चों के पार्क में खुलेआम बोरियों में सांप रखना गंभीर लापरवाही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि
“अगर कोई बच्चा या कोई अन्य व्यक्ति अनजाने में बोरी खोल देता तो बड़ी दुर्घटना हो सकती थी।”
क्या होगी कार्रवाई?
इस घटना के बाद वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि:
- बच्चों के पार्क में इस तरह का कोई कार्य न हो।
- सांपों की निगरानी और रेस्क्यू प्रक्रिया पारदर्शी और सुरक्षित हो।
- लापरवाही के लिए जिम्मेदार कर्मियों पर कार्रवाई हो।