बिहार का शिक्षा विभाग इन दिनों सुर्खियों में है। इसका कारण है विभाग के उप मुख्य सचिव के.के. पाठक का आदेश। बता दें कि अपर मुख्य सचिव के आदेश से शिक्षकों में भय का माहौल है, उन्होंने पत्र जारी कर कहा है कि शिक्षक निरंतर अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। नाम न छापने की शर्त पर कई शिक्षकों ने कहा कि अब यह बहुत ज्यादा हो गया है। उनके इस व्यवहार के कारण बीपीएससी में हजारों शिक्षकों ने योगदान नहीं दिया है। यूपी के कई शिक्षकों का कहना है कि इस नौकरी से बेहतर है घर पर रहना। शिक्षकों ने साफ कहा कि व्यवहारिक स्तर पर कुछ नहीं हो रहा है। केवल शिक्षक पर आदेश पर आदेश लादे जा रहे हैं।
शिक्षकों ने सुनाया अपना दर्द :
शिक्षकों ने अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि कभी-कभी धूप में बैठाकर पढ़ाने के कारण वेतन रुक जाता है, तो कभी सफाई व्यवस्था दुरुस्त न होने पर वेतन रोक दिया जाता है। शिक्षकों के अनुसार अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक को वास्तविक स्थिति की जानकारी नहीं है। कई स्कूलों में संसाधनों का अभाव है। वहीं तीन बजे के बाद बच्चे स्कूल में रुकना नहीं चाहते। साथ ही आप लोगों को यह करने, वह करने का आदेश दिया जा रहा है। शिक्षा विभाग के ताजा आदेशों पर नजर डालें तो के.के. पाठक फिर और भी बातें सामने आती हैं। के.के. पाठक की ओर से बताया गया कि शिक्षकों को सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक स्कूल में उपस्थित रहना होगा। इसके बाद शिक्षकों ने इस पर निगरानी रखनी शुरू की। अब एक नया आदेश जारी किया गया है, जिसके मुताबिक शिक्षकों को सिर्फ 5 बजे तक स्कूल में ठहरना ही नहीं बल्कि ये बताना होगा कि उन्होंने दिन भर में क्या किया और क्या पढ़ाया।
जानिए क्या है नया फरमान ?
आदेश के मुताबिक शिक्षकों को यह बताना होगा कि उन्होंने दिन भर में क्या किया और क्या पढ़ाया। क्लास के दौरान शिक्षक ने क्या किया? बच्चों को होमवर्क दिया गया या नहीं? क्या बच्चों ने प्रोजेक्ट कार्य का सामना किया या नहीं? बच्चों से बातचीत कर उन्हें अलग से पढ़ने के लिए प्रेरित किया गया या नहीं। इस आदेश के बाद शिक्षकों की टेंशन बढ़ गयी है। वहीं शिक्षकों को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे के बीच स्कूल में क्या हुआ, इसकी सारी जानकारी देनी होगी। विभाग द्वारा इसकी गहनता से जांच करायी जायेगी। निर्धारित मानक पूरे न होने पर कार्रवाई की जाएगी।
जिला अधिकारी को निगरानी का आदेश :
के.के. पाठक के अनुसार स्कूल में बच्चों को 9 बजे से 15 .30 बजे तक पढ़ाई करायी जायेगी। इसके बाद कमजोर बच्चे को 17:00 बजे तक स्कूल में पढ़ाई करेंगे। इसके अलावा के.के. पाठक ने यह भी तय किया कि इस नियम का पालन हो रहा है या नहीं, इसकी भी जांच करनी होगी। के.के. पाठक ने इस संबंध में बिहार के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजा है। इस पत्र में स्कूलों की निगरानी की बात कही गयी है।
वहीं बताया जा रहा है कि बढ़ते ठंड के कारण के.के. पाठक का यह आदेश न सिर्फ शिक्षकों बल्कि बच्चों के लिए भी मुश्किल होगा। जैसे-जैसे कोहरा बढ़ेगा, सुबह 9 बजे आने वाले बच्चों की संख्या कम हो जाएगी। कई बार बच्चे आते भी नहीं। उधर, शाम पांच बजे स्कूल छोड़ने वाली शिक्षिकाएं पहले से ही परेशान हैं। उनका कहना है कि रास्ते में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि सर्दी में बच्चे सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक रहेंगे या नहीं, इसे लेकर शिक्षकों में संशय है।
शिक्षकों ने व्यक्त की चिंता:
शिक्षकों का कहना है कि शाम पांच बजे घर जाने के लिए अंधेरा हो जाता है। कई शिक्षक दूरदराज के गांवों से आते हैं, उन्हें रास्ते में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। याद दिला दें कि इससे पहले के.के. पाठक ने शिक्षकों को छुट्टियों के दौरान व्हाट्सएप का उपयोग करने से रोकने का आदेश जारी किया। शिक्षकों ने फिलहाल इस आदेश को स्वीकार कर लिया है। हालांकि उनका कहना है कि यह अनुचित है। जब वे शिक्षा विभाग के आदेश को व्हाट्सएप पर भेजकर उसका अनुपालन कर सकते हैं तो उनकी छुट्टी पर विचार क्यों नहीं किया जा सकता? इधर पाठक के आदेशानुसार शिक्षकों को मीडिया में कोई भी बयान देने के साथ-साथ सोशल नेटवर्क पर शिक्षा प्रणाली के बारे में कोई भी पोस्ट पोस्ट करने से प्रतिबंधित किया गया है। इसके अलावा शिक्षकों को किसी भी ट्रेड यूनियन या संगठन में शामिल होने से प्रतिबंधित किया गया है। इसको लेकर शिक्षकों में काफी असंतोष है।