पटना: बिहार सरकार की ओर से संचालित एक अतिमहत्वाकांक्षी एवं बहुआयामी जल-जीवन-हरियाली अभियान पर्यावरण सरंक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान है। इस अभियान के तहत कुल 15 क्रियान्वयन विभागों की ओर से 11 अवयवों पर कार्य किया जा रहा है।
जल-जीवन-अभियान अंतर्गत अवयव संख्या 05 के तहत छोटी-छोटी नदियों, नालों में एवं पहाड़ी क्षेत्रों के जल संग्रहण क्षेत्रों में चेकडेम एवं जल संचयन की अन्य संरचनाओं का निर्माण का कार्य किया जा रहा है, इस अवयव के तहत अब तक कुल 12 हजार से अधिक चेकडेम एवं अन्य जल संचयन सरंचनाओं का निर्माण कार्य किया गया है। साथ ही, पहाड़ों की तलहट्टी में गारलैंड ट्रेंच बनाकर वर्षा जल संचयन की योजना पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा लघु जल संसाधन विभाग द्वारा कार्य किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य वर्षा के अतिरिक्त जल को संचित करना है, जिससे भविष्य में इसका उपयोग किया जा सके।
संचित जल का उपयोग मत्स्य पालन, कृषि कार्य एवं अन्य गतिविधियों में भी किया जा रहा है। यह भू-गर्भ जल के पुनर्भरण के लिए उपयोगी एवं सशक्त माध्यम बन रहा है तथा जल संचयन की दिशा में चेकडेम मील का पत्थर साबित हो रहा है, भू-जल का अत्यधिक दोहन और जल सरंक्षण का कोई खास प्रबंध नही होने से कृषि कार्य एवं सिंचाई प्रबंधन में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। भू-जल स्तर में निरंतर हो रही गिरावट के मद्देनजर जल-जीवन-हरियाली अभियान अंतर्गत चेकडेम निर्माण कर बहुआयामी उद्देश्य से पर्याप्त जल सुनिश्चित किया जा रहा है।
अभियान के माध्यम से छोटी-छोटी नदियों पर चेकडेम निर्माण कर अवशेष जल के प्रबंधन की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है, एवं पुनर्भरण की प्रक्रिया से जल संचयन चक्र को संतुलित बनाए रखा जा रहा है, साथ ही प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता में उपलब्धि एवं सतत विकास के लक्ष्यों को पूर्ण करने एवं पर्यावरण को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण योगदान प्राप्त हो रही है।