‘नि:स्वार्थ प्रेम का नाम है बिहार..ज्ञान की भूमि है बिहार, इसलिए गर्व है बिहारी होने पर’…कारण भी समझ लीजिए

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‘नि:स्वार्थ प्रेम का नाम है बिहार..ज्ञान की भूमि है बिहार, इसलिए गर्व है बिहारी होने पर’..ये शब्द उन करोंड़ों बिहारियों के हैं जो अपनी बिहार की धरती से बेहद प्यार करते हैं।  उन्हें अपनी जमीन से प्यार है…अपनी संस्कृति से प्यार है। आज अपना बिहार 113 साल का हो गया है। बिहार दिवस पर पूरे बिहार में जश्न का माहौल है। सरकार की तरफ से कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

22 मार्च 1912 को बंगाल से अलग होकर बिहार बना था। उस समय बिहार में उड़ीसा और झारखंड जैसे राज्य भी शामिल थे, जो बाद में बिहार से अलग हुए। लेकिन अपने अतीत को स्मरण करने के लिए बिहार सरकार ने साल 2010 में बिहार दिवस मनाने का निर्णय लिया। इसके बाद से लगातार हर वर्ष बिहार दिवस समारोह राज्य में मनाया जाता है।

बिहार के सभी लोग बिहारी होने पर गर्व करते हैं। वरिष्ठ आईपीएस आईजी विकास वैभव ने बताया कि बिहारी होने का गर्व इसलिए है कि जिस समय में लोग ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की कल्पना नहीं करते थे उस दौर में बिहार दुनिया के लिए शिक्षा का केंद्र था। उन्होंने सभी बिहार वासियों को बिहार दिवस की बधाई दी। विकास वैभव ने कहा कि ‘आज हम विकसित भारत की परिकल्पना कर रहे हैं लेकिन यह विकसित बिहार के बगैर संभव नहीं है। बिहार ज्ञान की भूमि रही है, शौर्य की भूमि रही है, उद्यमिता की भूमि रही है। कहीं ना कहीं आज बिहार पूर्ण रूप से भारत के विकास में योगदान नहीं कर पा रहा है। हालांकि देश में सबसे अधिक विकास दर बिहार का है जो 14 प्रतिशत से अधिक है।’

 

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