बिहार में UPSC की तैयारी के लिए छात्र-छात्राएं अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं। सफलता का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 10 से 12 घंटे की पढ़ाई करने के लिए तैयार रहते हैं। यूपीएससी का परिणाम सामने आने के बाद यह देखने को मिलता है कि बिहार से कई छात्र-छात्राओं ने बाजी मारी हैं । हर जिले और कस्बे में बधाई का तांता लगा रहता है। कई अभ्यर्थी तो ऐसे होते हैं जो कि आर्थिक संकट को मात देते हुए यूपीएससी परीक्षा में विजय पताका फहरा देते हैं।
तो चलिए इसी क्रम में आज हम आपलोगों को बताएंगे कि बिहार के वे नौ अधिकारी कौन हैं जिन्होंने UPSC Rank 1 लाकर परचम लहराया है। हम आपलोगों को यह भी बताएंगे कि ये अधिकारी किस बैच के हैं…
1.जगन्नाथन मुरली (1960)
1960 में जगन्नाथन मुरली (jagannathan Murali ias) ने upsc rank 1 लाकर बिहार का नाम रोशन किया था। वह बिहार के पहले यूपीएससी टॉपर थे। उनके पिता भी ब्रिटिश काल में आइसीएस थे। आजादी के बाद आईसीएस ही आईएएस में बदल गया।
2. आभास चटर्जी (1966)
छह साल बाद 1966 में पूर्णिया के आभास चटर्जी (Abhas Chatterjee IAS) टापर बने। आभास चटर्जी ने upsc rank 1 लाकर बिहार का नाम रोशन किया था। लालू यादव के शासन के दौरान उन्होंने प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप और अधिकारियों को धमकाने का कड़ा विरोध किया था। यहां तक कि उन्होंने इस विरोध में प्रमोशन लेने तक से इनकार कर दिया था।
3. आमिर सुबहानी (Amir subhani IAS)
आमिर सुबहानी 1987 बैच के बिहार कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं । आमिर सुबहानी 1987 बैच की यूपीएससी -सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) के टॉपर रह चुके हैं। आमिर सुबहानी 1987 में UPSC में Rank-1 प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी थे।
आमिर सुबहानी 1993 में पहली बार भोजपुर जिले में डीएम बनकर गए थे फिर वह 1994 में पटना में जिला कलेक्टर के रूप में नियुक्त किए गए थे। वर्तमान में वह बिहार के मुख्य सचिव हैं।
4. प्रशांत कुमार (1988)
प्रशांत कुमार (Prashant Kumar IAS) साल 1988 Batch के West Bengal Cadre के ias Officer हैं। वे बिहार के रहने वाले अधिकारी हैं। उन्हें 1990 में बंगाल के दिनाजपुर में पहली बार डीएम बनाया गया था। लेकिन बाद में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए।
5.सुनील कुमार बर्णवाल (1996)
सुनील कुमार बर्णवाल (Sunil Kumar Barnwal IAS) बिहार राज्य के भागलपुर के रहने वाले हैं। सुनील कुमार बर्णवाल IIT Dhanbad से Petroleum Engineering में स्नातक किया है। उन्होंने वर्ष 1996 के सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम स्थान (UPSC Rank 1) हासिल किया था।
6. देवेश कुमार (1997)
देवेश कुमार (Devesh Kumar IAS) हिमाचल-कैडर 1997 बैच के आईएएस टॉपर थे। देवेश कुमार भी मूल रूप से बिहार के ही रहने वाले हैं। उन्होंने साल 1997 में UPSC परीक्षा में Rank 1 प्राप्त किया था। उन्होंने आई.आई.टी कानपुर से बी.टेक (केमिकल इंजीनियरिंग) में स्नातक (1991-1995) किया। उन्होंने सिरैक्यूज़ यूनिवर्सिटी, मैक्सवेल स्कूल (2014-2015) से लोक प्रशासन में मास्टर डिग्री भी हासिल की थी। 1997 सिविल सेवा में व्यक्तित्व परीक्षण के बाद मुख्य परीक्षा में देवेश ने प्रथम रैंक हासिल करते हुए 1462 अंक प्राप्त किए। उन्होंने वैकल्पिक विषयों के रूप में रसायन विज्ञान और भूगोल को चुना था।
7.आलोक रंजन झा (2001)
आलोक रंजन झा आईएएस (Alok Ranjan Jha IAS) जिन्होंने वर्ष 2001 में UPSC Rank 1 प्राप्त की थी। आईएएस परीक्षा में यह उनका तीसरा प्रयास था और उन्होंने सफलतापूर्वक रैंक 1 हासिल की। उन्होंने 28 साल की उम्र में परीक्षा पास की।
आईएएस आलोक रंजन झा का जन्म 10 अगस्त 1972 को भारत के बिहार में पूर्वी चंपारण में हुआ था। आलोक रंजन आईएएस का गृहनगर बिहार स्थित पूर्वी चंपारण में है। वह अब 50 साल के हैं. उनके शौक साहित्य और यात्रा हैं। वह अंग्रेजी, हिंदी के साथ फ्रेंच भी बोलते हैं।
8.शुभम कुमार (2020)
शुभम कुमार (Shubham Kumar IAS) जिन्होंने 19 साल बाद साल 2020 में बिहार के सूखे को खत्म किया। यानी यूपीएससी में रैंक 1 लाने का लक्ष्य पूरा किया। देश भर में UPSC Rank 1 लाने वाले शुभम कुमार कटिहार जिले के कदवा प्रखंड के कुम्हरी गांव के रहने वाले हैं। 2018 में उन्होंने आईआईटी मुंबई में सिविल इंजीनियरिंग से बीटेक का पढ़ाई पूरी की। उन्होंने वर्ष 2019 में भी यूपीएससी में 290 रैंक लाया था। उनके पिता देवानंद सिंह पूर्णिया में उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में मैनेजर हैं और मां पूनम देवी घर का कामकाज संभालती हैं।
9.इशिता किशोर (Ishita Kiore) 2022
इशिता किशोर (Ishita Kishore IAS) चुकी हैं। उन्होंने पूरे देश में UPSC Rank 1 प्राप्त किया था। 27 साल की इशिता को यह सफलता तीसरी बार में मिली। प्रेरणा लेने लायक बात यह है कि उन्होंने इससे पहले दो प्रयास दिए जिनमें वह एक में भी प्रिलिम्स परीक्षा भी क्वालिफाई नहीं कर सकी थीं।