बिजली आपूर्ति में बिहार ने झारखंड व यूपी को पछाड़ा, राज्य के शहरी क्षेत्रों में 23.1 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही
बिजली आपूर्ति करने के मामले में बिहार पड़ोसी राज्य यूपी व झारखंड से आगे है। शहरी क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति करने के मामले में बिहार 25वें पायदान पर है। राज्य के शहरी क्षेत्रों में 23.1 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है जो राष्ट्रीय औसत 23.57 घंटे से कम है। बिहार से भी पीछे यूपी, झारखंड और जम्मू-कश्मीर है। ग्रामीण इलाकों में बिजली आपूर्ति करने के मामले में बिहार 18वें पायदान पर है। बिहार के ग्रामीण इलाके में 20.1 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है। बिहार से पीछे मणिपुर, असम, कर्नाटक, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल, यूपी व जम्मू-कश्मीर है।
रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन लि. की ओर से जारी बिजली कंपनियों की रैंकिंग व रेटिंग से यह खुलासा हुआ है। रेटिंग के अनुसार देश की कोई भी बिजली कंपनी को ए प्लस का दर्जा नहीं मिला है। नौ कंपनियों को ए, 13 कंपनियों को बी प्लस, 16 कंपनियों को बी, 12 कंपनियों को सी प्लस, चार कंपनियों को सी और चार को डी ग्रेड दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर बिहार के ग्रामीण इलाकों में एक साल में 760 बार फीडर से बिजली गुल हुई। दक्षिण बिहार में 513 बार फीडर से बिजली गुल हुई। वहीं शहरी क्षेत्रों में उत्तर बिहार में एक साल में 418 बार तो दक्षिण बिहार में 351 बार बिजली गुल हुई।
औद्योगिक इकाइयों को बिजली देने में उत्तर बिहार अव्वल
राज्य के औद्योगिक इकाइयों को बिजली देने में भी उत्तर बिहार आगे है। उत्तर बिहार की औद्योगिक इकाइयों को 23.2 घंटे तो दक्षिण बिहार की इकाइयों को 23 घंटे बिजली मिल रही है।
मात्र 63 उपभोक्ताओं को मीटर से बिल दिए जा रहे
बिहार के मात्र 63 फीसदी उपभोक्ताओं के यहां मीटर से बिल दिए जा रहे हैं। इस मामले में बिहार 23वें पायदान पर है। बिहार से पीछे झारखंड और जम्मू-कश्मीर है। मोबाइल पर बिजली बिल की जानकारी देने के मामले में बिहार 12वें पायदान पर है। राज्य के 85 उपभोक्ताओं को ही मोबाइल पर बिजली बिल की जानकारी मिल रही है। ट्रांसफॉर्मर खराब होने में दक्षिण बिहार का बुरा हाल है।
सी प्लस और डी श्रेणी में सूबे की कंपनियां
बिहार की दोनों वितरण कंपनियों में नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड को सी प्लस जबकि दक्षिण बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड को डी श्रेणी में रखा गया है। रेटिंग में बिजली आपूर्ति, व्यवधान और ट्रांसफॉर्मर फेल होने पर 45 अंक तय किया गया था। जबकि मीटर बदलने, बिलिंग क्षमता, बिल की जानकारी, बिजली दर आदि पर 35 अंक तय किए गए थे। 20 अंक अन्य मामलों से जुड़े थे।
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